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हाइकोर्ट ने मांगी मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने केंद्र सरकार के उचित प्राधिकारी को निर्देश दिया कि वह संबंधित दवाओं की आपूर्ति करने वाली दवा कंपनी के खिलाफ की गयी कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट दाखिल करें.

मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज कांड. 30 को होगी मामले की अगली सुनवाईसंवाददाता, कोलकाताकलकत्ता हाइकोरट ने मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रसव के बाद कथित तौर पर एक्सपायर्ड सलाइन चढ़ाये जाने के बाद एक महिला की मौत के मामले में राज्य के मुख्य सचिव व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को गुरुवार को समग्र रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने केंद्र सरकार के उचित प्राधिकारी को निर्देश दिया कि वह संबंधित दवाओं की आपूर्ति करने वाली दवा कंपनी के खिलाफ की गयी कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट दाखिल करें. सरकारी अस्पताल में कथित तौर पर अंतःशिरा द्रव (नसों के माध्यम से दिया जाने वाला औषधीय तरल पदार्थ) दिये जाने के बाद महिला की मौत की सीबीआइ जांच की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि मामले की 30 जनवरी को दोबारा सुनवाई होगी, जब पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और केंद्र सरकार की ओर से अपनी-अपनी रिपोर्ट दाखिल की जायेगी.

बता दें कि मेदिनीपुरपुर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय महिला की बच्चे को जन्म देने के एक दिन बाद नौ जनवरी को मृत्यु हो गयी थी. अदालत ने एक याचिकाकर्ता को कुछ तथ्य रिकॉर्ड पर लाने के लिए अदालत के समक्ष पूरक हलफनामा दायर करने की भी अनुमति दी. वहीं, गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि मामले की जांच अपराध जांच विभाग (सीआइडी) द्वारा की जा रही है. इसके अलावा घटना की जांच के लिए 13 विशेषज्ञ चिकित्सकों को लेकर समिति भी गठित की गयी है, जिसने राज्य सरकार को प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने 22 मार्च 2024 को एक कंपनी को दूषित नमकीन उपलब्ध कराने के लिए चिह्नित किया था और पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित करते हुए उस पर तीन साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, जानकारी दिए जाने के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार कंपनी से एक्सपायर्ड सलाइन खरीदती रही, जिसका खुलासा पिछले हफ्ते गर्भवती महिला की मौत तक नहीं हुआ.

अदालत ने दी दवा कंपनी को जवाब में हलफनामा दाखिल करने की छूट

अदालत ने दवा कंपनी को जवाब में हलफनामा दाखिल करने की छूट दी. पीठ ने कहा कि वह यह विचार करेगी कि रिपोर्ट और हलफनामा दाखिल होने के बाद आगे क्या निर्देश जारी किये जाने की जरूरत है. इसने राज्य सरकार को मृतक के परिवार को ‘पर्याप्त मुआवजा’ देने का निर्देश दिया.

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