Covid-19 : ममता सरकार के खिलाफ भाजपा नेताओं ने दिया सांकेतिक धरना, कोरोना मामले में ममता सरकार पर लगाया विफलता का आरोप
पश्चिम बंगाल में कोरोना महामारी को संभालने में विफलता, राशन घोटाला और भाजपा सांसदों को घरबंदी करने के खिलाफ बंगाल भाजपा के नेताओं ने राज्य व राज्य के बाहर अपने घरों में सांकेतिक धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोरोना महामारी को संभालने में विफलता, राशन घोटाला और भाजपा सांसदों को घरबंदी करने के खिलाफ बंगाल भाजपा के नेताओं ने राज्य व राज्य के बाहर अपने घरों में सांकेतिक धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया. भाजपा महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में, केंद्रीय सह प्रभारी शिवप्रकाश जी लखनऊ में, केंद्र सह प्रभारी अरविंद मेनन व सुरेश पुजारी ओडिशा में, बंगाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष व प्रदेश भाजपा महासचिव (संगठन) सुब्रत चटर्जी साल्टलेक में, केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल राय, केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो, केंद्रीय राज्यमंत्री देवश्री चौधरी, सांसद ज्योतिर्मिय सिंह महतो, लॉकेट चटर्जी, सौमित्र खान, डॉ स्वपन दासगुप्ता, प्रदेश महासचिव संजय सिंह, प्रताप बनर्जी, सयांतन बसु, राजू बनर्जी सहित प्रदेश व जिला स्तर के नेताओं ने अपने-अपने आवास पर धरना दिया.
Also Read: Covid- 19 : कोलकाता में एक डॉक्टर की मौत पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जतायी खेद, कहा- हमने खोया एक सीनियर डॉक्टरभाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने इंदौर में दिये सांकेतिक धरना के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Cm Mamta Banerjee) के अहंकार के कारण बंगाल की जनता का जीवन संकट में है. बंगाल का भविष्य संकट में है. केंद्र सरकार अपने अधिकार का प्रयोग करे और बंगाल की जनता को बचाये. केंद्र सरकार, प्रधानमत्री, गृह मंत्री से आग्रह है कि बंगाल की जनता बचायें. इस दौरान अक्षय तृतीया पर श्री विजयवर्गीय ने अपना जन्मदिन सादगी से मनाया.
श्री विजयवर्गीय कहा कि मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता के हित की चिंता नहीं है. उन्हें सिर्फ वोट की चिंता है. ममता जी तानाशाही, अहंकार व लापरवाही और प्रदूषित राजनीति के खिलाफ है. कहा कि बंगाल में ममता की सरकार पूरे बंगाल को धोखे में रख कर राज्य की जनता को बारूद के ढेर पर बैठाने का प्रयास कर रही है. कोरोना बीमारी एक विश्वव्यापी बीमारी है. इसमें सारा देश एक साथ खड़ा है. देश के लोग मोदी जी के आग्रह पर लॉकडाउन, जनता कर्फ्यू कर रहे हैं. राज्य की सरकारें लॉकडाउन कर रही हैं, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री बहुत ही लापरवाही से काम कर रही है. सेवा की जरिये राजनीति कर रही हैं.
Also Read: Covid-19 : बंगाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या पहुंची 385, अब तक 18 की मौतउन्होंने कहा कि भाजपा सांसदों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. पुलिस उनके घर में उन्हें नजरबंद कर रही है. आरोप लगाया कि मोदी द्वारा भेजे गये अनाज जनता तक नहीं पहुंच रही है. तृणमूल के नेता उन्हें बाजार में बेच रहे हैं. कोरोना के मरीज इलाज के लिए तरस रहे हैं. मरीज मर जाते हैं, लेकिन उनकी संख्या नहीं बतायी जा रही है. रात को उनके शव को चुपके से दफना दिया जाता है. ऐसी आराजकता देश में और कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र से एक टीम भेजी है, ताकि दुर्द्शा ठीक करे, लेकिन राज्य सरकार उनके साथ सहयोग नहीं कर रही है. प्रश्नावली भेजे गये हैं, लेकिन जवाब नहीं दे रही है.
बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने कहा कि कोरोना महामारी को संभालने में राज्य सरकार की विफलता, कोरोना से संबंधित तथ्यों को छुपाने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीबों को दिये गये राशन में भ्रष्टाचार, केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ असहयोग सहित विभिन्न मागों को समर्थन में पूरे राज्य में धरना दिया गया है. चूंकि लॉकडाउन चल रहा है. इस कारण भाजपा नेताओं ने अपने-अपने घरों में रह कर धरना दिया और केंद्र सरकार और आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.
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पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के एक सीनियर डॉक्टर के निधन पर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. पार्टी की प्रदेश इकाई के सह प्रभारी अरविंद मेनन (Arvind Menon) ने लिखा है कि डॉक्टर कोरोना से बचाव के लिए सुरक्षा सूट और अन्य आवश्यक ढांचागत व्यवस्थाएं लगातार मांग रहे हैं, लेकिन ममता सरकार आंकड़े छिपाने और मार्केटिंग नौटंकी करने में व्यस्त हैं.
श्री मेनन ने रविवार को एक ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि 26 अप्रैल 2020 को इस सीनियर डॉक्टर का निधन हो गया. यहां तक कि उनकी पत्नी की भी जांच हुई है और वह कोरोना पॉजिटिव है. पश्चिम बंगाल में मेडिकल बिरादरी लगातार पीपीई, पर्याप्त परीक्षण की मांग कर रही है. लेकिन, पश्चिम बंगाल सरकार पीआर ट्रिक्स और मार्केटिंग नौटंकी करने में व्यस्त है. ममता सरकार केवल डाटा के हेराफेरी में लगी है. डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया जा रहा. उल्लेखनीय है कि डॉक्टर के निधन पर पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम ने भी दुख व्यक्त किया है और व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगाया है.