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Covid-19 : केंद्रीय टीम ने बढ़ायी बंगाल सरकार की मुश्किलें, मुख्य सचिव को लिखा पत्र, कहा : कोविड-19 पर बंगाल में बड़ी अव्यवस्थाएं, सरकार दे स्पष्टीकरण

केंद्रीय टीम के लीडर अपूर्व चंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के नाम एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें राज्य के तमाम अस्पतालों, क्वॉरेंटाइन सेंटरों और अन्य व्यवस्थाओं में अव्यवस्था पर स्पष्टीकरण मांगा है.

कोलकाता : कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की वजह से उपजे हालात का जायजा लेने बंगाल पहुंची अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ानी शुरू कर दी है. शुक्रवार को कोलकाता (Kolkata) में इस टीम के लीडर अपूर्व चंद्र ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के नाम एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें राज्य के तमाम अस्पतालों, क्वॉरेंटाइन सेंटरों और अन्य व्यवस्थाओं में अव्यवस्था पर स्पष्टीकरण मांगा है. अपनी चिट्ठी में अपूर्व ने डॉक्टरों के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध 50 लाख रुपये का बीमा चुनने की छूट संबंधी निर्देशिका से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की जांच के लिए राजकीय आदेश की प्रति भी मांगी है.

अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal) के कोविड-19 (Covid-19) अस्पताल एमआर बांगुर में कई मरीज ऐसे हैं, जो 4 से 5 दिनों से भर्ती हैं, लेकिन उनकी जांच नहीं की गयी है. सरकार बताये कि आखिर इतनी देर क्यों की जा रही है? उन्होंने पूछा है कि कुछ रोगियों की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है, फिर भी उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है. ऐसा क्यों हो, क्या उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं है?

अस्पताल में शव पड़े होने पर भी मांगी सफाई

एमआर बांगुर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शव पड़े होने और आसपास मरीजों को रखने पर भी केंद्रीय टीम ने स्पष्टीकरण मांगा है. हालांकि, राज्य की ओर से उन्हें इस बारे में बताया गया था कि डेथ सर्टिफिकेट बनाने में कम से कम 4 घंटे का समय लगता है. शायद इसी वजह से शव पड़े होंगे. इस पर श्री चंद्र ने पूछा है कि डेथ सर्टिफिकेट बनाने का काम होता रहेगा. इसके लिए जरूरी नहीं कि मरीजों के आसपास शव रखे जायें. मृतक शरीर को शव गृह (Mortuary) में भी ले जाकर शिफ्ट किया जा सकता था, लेकिन सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया बतायें?

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स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर किया सवाल

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया है. अपनी चिट्ठी में लिखा है कि केंद्रीय टीम ने अपने दौरे में पाया है कि कई ऐसे कोरोना मरीज हैं, जिन्हें विभिन्न अस्पतालों से रेफर कर दिया जा रहा है, लेकिन उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. वे खुद ही अस्पताल आ रहे हैं. ऐसे में बहुत हद तक इसकी आशंका है कि मरीज अस्पताल न पहुंचें या देरी से पहुंचे. आखिर इस जानलेवा संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की यह व्यवस्था क्यों है?

एमआर बांगुर अस्पताल में सरकारी व्यवस्था को अपर्याप्त करार देते हुए श्री चंद्र ने अपनी चिट्ठी में पूछा है कि अस्पताल में 354 गंभीर कोरोना पोजिटिव रोगी भर्ती हैं. बावजूद इसके वहां केवल 12 वेंटिलेटर बेड हैं. ऐसा क्यों? अगर किसी मरीज को वेंटिलेशन की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें सरकार कहां भेजती है इसकी सूची उपलब्ध करायें.

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कम संख्या में सैंपल जांच क्यों हो रही?

इसके साथ ही केंद्रीय टीम ने यह भी पूछा है कि बंगाल सरकार इतनी कम संख्या में सैंपल जांच क्यों कर रही है? राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा गया है कि प्रतिदिन ढाई हजार से 5000 की संख्या में सैंपल टेस्ट सरकार कब से शुरू करेगी और इसके लिए राज्य सरकार क्या कुछ प्रयास कर रही है? टीम लीडर ने अपनी चिट्ठी में यह भी बताया है कि मुख्य सचिव ने उन्हें अवगत कराया है कि राज्य सरकार नियमित तौर पर प्रत्येक जिले में लोगों की स्क्रीनिंग कर रही है. हर रोज डेढ़ से दो लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है. ऐसे में सरकार बतायें कि जितने लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है, उनमें से कितने लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं?

पत्र के अंत में अपूर्व चंद्रा ने लिखा है कि राज्य सरकार डॉक्टर और नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दे रही है, जबकि केंद्र सरकार ने 50 लाख का बीमा का प्रावधान किया है. राज्य सरकार ने उन्हें अवगत कराया है कि डॉक्टर इनमें से कोई भी बीमा योजना चुनने के लिए स्वतंत्र हैं. ऐसे में इससे संबंधित निर्देशिका क्यों नहीं जारी की गयी है बतायें?

उल्लेखनीय है कि एक तरफ राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) पर कोरोना संक्रमण का हालात संभालने में विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ कोलकाता में मौजूद केंद्रीय टीम की यह सवालिया चिट्ठी राज्य सरकार को परेशानी में डालने वाली है.

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