कोलकाता. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से राज्य में पहली मौत हुई है. मृतक की चिकित्सा सियालदह स्थित नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज में चल रही थी. अस्पताल की ओर से जारी डेथ सर्टिफिकेट पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को मौत का कारण बताया गया है. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, मृतक का नाम अरित्रा मंडल (17) था. वह उत्तर 24 परगना जिले के आमडांगा थाना क्षेत्र के ताबाबेरिया गांव का रहनेवाला था. वह 12वीं कक्षा का छात्र था. 22 जनवरी से उसे गले में दर्द थी. इसके बाद 23 जनवरी को उसे एनआरअएस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान मंगलवार सुबह 9.15 बजे उसकी मौत हो गयी. अस्पताल में भर्ती कराये जाने की बाद से ही उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी. उसकी चिकित्सा क्रिटिकल केयर यूनिट में चल रही थी. मृत्यु प्रमाण पत्र पर सेप्टिक शॉक और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को मौत की वजह बतायी गयी है. बताया जा रहा है कि वह वेंटिलेशन पर था. राज्य में पहली बार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से किसी व्यक्ति की मौत हुई है. उधर, इस बीमारी से पीड़ित अन्य दो बच्चों की चिकित्सा पार्क सर्कस स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में चल रही है. जानकारी के अनुसार, दोनों बच्चों के शरीर धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे थे. शरीर के हाथ-पैर भी सुन्न होने लगते थे. जांच में पता चला है कि दोनों को यह जटिल बीमारी है. बताया गया है कि दोनों बच्चों की चिकित्सा प्रो. डॉ प्रभाष प्रसून गिरि कर रहे हैं. डॉ गिरि ने बताया कि ब्रेन की एमआराई स्कैन कर इस बीमारी का पता गया गया. इस अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की उम्र सात साल है, जो दक्षिण 24 परगना के जयनगर इलाके में रहनेवाला है. वह पिछले 25 दिनों से अस्पताल के पीआइसीयू में है. वहीं, दूसरे बच्चे की उम्र आठ साल है. जो उत्तर 24 परगना के बागुईहाटी इलाके का रहनेवाला है. पिछले 12 दिनों से उसकी चिकित्सा पीआइसीयू में हो रही है. डॉ गिरि ने बताया कि आठ वर्षीय बच्चे की शारीरिक स्थिति बेहद गंभीर है, जबकि एक अन्य बच्चे पर इलाज का असर दिख रहा है. हालांकि दोनों को फिलहाल वेंटिलेशन पर रखा गया है.
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