सुप्रीम कोर्ट ‘जाति के आधार पर भेदभाव’ संबंधी याचिका पर आज सुनायेगा फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष जनवरी में केंद्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 11 राज्यों से याचिका पर जवाब मांगा था.
एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को उस याचिका पर अपना फैसला सुनायेगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि देश के कुछ राज्यों की जेल नियमावली जाति के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देती हैं. सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गयी तीन अक्तूबर की वाद सूची के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस याचिका पर फैसला सुनायेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष जनवरी में केंद्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 11 राज्यों से याचिका पर जवाब मांगा था. न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर गौर किया कि इन राज्यों की जेल नियमावलियां जेलों के अंदर काम के आवंटन में भेदभाव करती हैं और कैदियों को रखने का स्थान उनकी जाति के आधार पर तय होता है. याचिका में केरल जेल नियमों का हवाला दिया गया और कहा गया कि वे आदतन अपराधी और दोबारा दोषी ठहराये गये अपराधी के बीच अंतर करते हैं और कहते हैं कि जो लोग आदतन डाकू, सेंध लगाने वाले, डकैत या चोर हैं, उन्हें अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाये और अन्य दोषियों से अलग रखा जाये. इसमें दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल जेल संहिता में कहा गया है कि जेल में काम जाति के आधार पर किया जाना चाहिए, जैसे खाना पकाने का काम प्रमुख जातियों द्वारा किया जायेगा और सफाई का काम विशेष जातियों के लोगों द्वारा किया जायेगा. शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से महाराष्ट्र के कल्याण की मूल निवासी सुकन्या शांता द्वारा दायर याचिका में उठाये गये मुद्दों से निबटने में सहायता करने को कहा था. पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की इन दलीलों पर गौर किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये मॉडल जेल मैनुअल के अनुसार राज्य जेल मैनुअल में किये गये संशोधनों के बावजूद, राज्यों की जेलों में जातिगत भेदभाव किया जा रहा है.
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