संवाददाता, कोलकाता राज्य में शिक्षक व गैर शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति में कथित घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की जांच के मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और चार अन्य पूर्व अधिकारियों की जमानत याचिका पर मंगलवार को हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने पार्थ चटर्जी के अलावा पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के पूर्व अध्यक्ष सुबीर भट्टाचार्य, राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, एसएससी की सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष एसपी सिन्हा और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के पूर्व सचिव अशोक साहा की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले, न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रॉय की पीठ ने पांचों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर अपने अलग-अलग फैसले सुनाये थे. इसके बाद हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की एकल पीठ को सौंप दिया था. सीबीआइ ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि कथित स्कूल नौकरी घोटाले में पांचों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन नियुक्ति में अनियमितताओं की समग्र जांच अभी भी जारी है. केंद्रीय एजेंसी के वकील ने दावा किया कि इस चरण में उन्हें जमानत दिये जाने से जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि आरोपी व्यक्ति प्रभावशाली हैं. वर्ष 2011 से 2021 तक शिक्षा विभाग संभालने वाले पार्थ चटर्जी हिरासत में लिये गये आरोपियों में से एक हैं और उन्होंने अन्य पूर्व लोक सेवकों के साथ उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की है. ये सभी स्कूल नौकरियों में अनियमितता के मामले में करीब दो साल से हिरासत में हैं.
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