शत्रु संपत्ति पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करे बंगाल सरकार और कोलकाता नगर निगम : न्यायालय
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुईंया की पीठ ने पीड़ित पक्षों के लिए कार्यात्मक नगर भवन न्यायाधिकरण नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी.
एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि शहर में “शत्रु संपत्ति” पर अवैध और अनधिकृत निर्माण को तत्काल ध्वस्त कर दिया जाये. शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत, शत्रु संपत्ति को किसी शत्रु, शत्रु देश के नागरिक या शत्रु फर्म के स्वामित्व, धारित या प्रबंधित किसी भी संपत्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुईंया की पीठ ने पीड़ित पक्षों के लिए कार्यात्मक नगर भवन न्यायाधिकरण नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने खुली अदालत में आदेश सुनाते हुए कहा, “दूसरे शब्दों में, पश्चिम बंगाल राज्य, कोलकाता नगर निगम, भारत के शत्रु संपत्ति के संरक्षक और अन्य सभी संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अवैध और अनधिकृत निर्माणों को तत्काल ध्वस्त कर दिया जाये और अनुपालन रिपोर्ट उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को प्रस्तुत की जाये.”
नगर निकाय के वकील ने जब कहा कि स्थल पर अवैध निर्माण को गिराने में समय लग रहा है, क्योंकि उन्हें सत्यापन करना है, तो पीठ ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य और नगर निगम मिलीभगत कर रहे हैं.” भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा है और इमारत खाली कराने के लिए उन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की मदद लेनी पड़ रही है. शीर्ष अदालत ने भारत के शत्रु संपत्ति के संरक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती दी गयी थी. उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि नगर भवन न्यायाधिकरण के गठन तक अवैध निर्माण के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी.
उच्च न्यायालय ने कोलकाता नगर निगम के कार्यकारी अभियंता द्वारा 30 दिसंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ एक याचिका पर निर्देश पारित किया था, जिसमें शहर के केशव चंद्र सेन स्ट्रीट पर स्थित उक्त शत्रु संपत्ति, जो पहले पाकिस्तानी नागरिकों की थी, पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था.
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