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घर में रहे दिलीप, कहा : इस समय बहन को सुरक्षा का वादा नहीं कर सकते

भाजपा कार्यालय में इस बार भाईफोटा का आयोजन देखने को नहीं मिला. जब दिलीप घोष प्रदेश अध्यक्ष बने थे, उस समय से पार्टी कार्यालय में भाईफोटा का आयोजन शुरू हुआ था. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के समय भी यह जारी रहा था. दिलीप घोष ही चर्चा के केंद्र में रहते थे. लेकिन रविवार को प्रदेश भाजपा दफ्तर में भाईफोटा का कोई आयोजन नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक दिलीप घोष इस दिन अपने घर पर ही रहे.

By Prabhat Khabar News Desk | November 3, 2024 11:25 PM

कोलकाता.

भाजपा कार्यालय में इस बार भाईफोटा का आयोजन देखने को नहीं मिला. जब दिलीप घोष प्रदेश अध्यक्ष बने थे, उस समय से पार्टी कार्यालय में भाईफोटा का आयोजन शुरू हुआ था. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के समय भी यह जारी रहा था. दिलीप घोष ही चर्चा के केंद्र में रहते थे. लेकिन रविवार को प्रदेश भाजपा दफ्तर में भाईफोटा का कोई आयोजन नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक दिलीप घोष इस दिन अपने घर पर ही रहे. उन्होंने सभी को पहले ही इसकी जानकारी दे दी थी. घोष ने बताया कि फोटा लेते समय बहन जिस तरह भाई के लिए मंगल कामना करती है, उसी तरह भाई भी उसकी रक्षा के लिए वादा करता है. लेकिन बंगाल में इस समय जो हालात है, ऐसे में कोई भी भाई अपनी बहन को सुरक्षा का वादा नहीं कर पायेगा. इसलिए इस वर्ष वह घर में ही रहे. बाहर नहीं निकले. उन्होंने कहा कि वह इस त्योहार का बायकॉट नहीं कर रहे हैं. धार्मिक रीति-रिवाज को किसी प्रतिवाद के साथ वह मिलाने के पक्षधर नहीं हैं. लेकिन मन से वह खुद को बेहतर महसूस नहीं कर पा रहे हैं. यदि मन में खुशी नहीं है, तो दिखावे के लिए इसका पालन करने का कोई औचित्य नहीं है.

लॉकेट ने भी दिलीप की बातों का किया समर्थन

भाईफोटा को लेकर राजनीतिक रूप से पूर्व भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी को काफी सक्रिय देखा जाता था. फिलहाल वह बांकुड़ा के तालडांगरा में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. लॉकेट ने कहा कि उन्होंने यहां कई जगह भाइयों को फोटा दिया है. केवल रिवाजों का उन्होंने पालन किया है. उन्होंने कहा कि दिलीप घोष ने जो कुछ कहा है, वही सही है. बंगाल में इस समय भाईफोटा मनाने का माहौल नहीं है.

भाजपा शासित प्रदेशों में महिलाओं की हालत बदतर : तृणमूल

इसे लेकर तृणमूल प्रवक्ता रिजू दत्त ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा राजनीति से ऊपर है. दिलीप घोष को यह भी याद रखना चाहिए कि भाजपा शासित प्रदेशों में महिलाओं की सुरक्षा बदतर है.

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