आदेश का पालन नहीं, हाइकोर्ट ने किया निकाय विभाग के अधिकारी को तलब
कलकत्ता हाइकोर्ट ने करीब ढाई साल पहले बहरमपुर नगरपालिका में काम करने वाले एक शख्स की पेंशन और सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया था. लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं होने पर हाइकोर्ट ने डायरेक्टोरेट ऑफ लोकल बॉडीज पर नाराजगी जाहिर की है. हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने संबंधित अधिकारी का वेतन रोकने के साथ ही उन्हें 16 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है.
कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने करीब ढाई साल पहले बहरमपुर नगरपालिका में काम करने वाले एक शख्स की पेंशन और सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया था. लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं होने पर हाइकोर्ट ने डायरेक्टोरेट ऑफ लोकल बॉडीज पर नाराजगी जाहिर की है. हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने संबंधित अधिकारी का वेतन रोकने के साथ ही उन्हें 16 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है. जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता भवानी शंकर राय को 1997 में मुर्शिदाबाद के बहरमपुर नगरपालिका में जल विभाग के अधीक्षक के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था. फिर मार्च 1998 में नगरपालिका के निर्वाचित सदस्यों ने उन्हें जल विभाग में उस पद पर स्थायी रूप से नियुक्त करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया. तब से वह उस पद पर स्थायी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं. नगरपालिका का दावा है कि कर्मचारी की स्थायी नियुक्ति के संबंध में लिये गये निर्णय की सारी जानकारी राज्य के शहरी विकास व नगरपालिका विभाग को भेज दी जाती है, ताकि वह सेवानिवृत्ति भत्ते से वंचित न रहे. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने सेवानिवृत्ति भत्ते के लिए आवेदन किया था. लेकिन राज्य विभाग ने उनके आवेदन को मंजूरी नहीं दी. राज्य की ओर से तर्क दिया गया कि नगरपालिका ने सर्वसम्मति से कर्मचारी को स्थायी रूप से नियुक्त करने का निर्णय लिया था, लेकिन जिस पद पर वह काम कर रहा था, वह नगरपालिका विभाग द्वारा अनुमोदित नहीं था. अत: वह सेवानिवृत्ति भत्ते का पात्र नहीं है.राज्य के इस फैसले को चुनौती देते हुए भवानी शंकर ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने कोर्ट में दलील दी थी कि उस पद पर कार्यरत शख्स की मृत्यु के बाद उन्हें सभी सेवानिवृत्ति लाभ मिलते हैं, तो वह सेवानिवृत्ति लाभ से क्यों वंचित रहेंगे? सितंबर 2022 में, न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने भबानी शंकर के सेवानिवृत्ति भत्ते के सभी बकाया रुपये का निपटान करने का आदेश दिया था. लेकिन राज्य ने उस आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया. डिविजन बेंच ने भी सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा. लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्ति भत्ता नहीं मिला है. अब याचिकाकर्ता ने आदेश का अवमानना का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर 16 जनवरी को सुनवाई होगी.
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