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अदालत में पेश होने की भीख न मांगें : हाइकोर्ट

वकील को मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार

वकील को मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि वकीलों को अदालत के पुराने तौर-तरीकों को त्यागना चाहिए, जो औपनिवेशिक अतीत के अवशेष हैं, जिसमें अदालत के समक्ष ””उपस्थित होने के लिए विनती करना” जैसी भाषा का प्रयोग भी शामिल है. वकील अक्सर अपनी दलीलें ”मैं अपने मुवक्किल के लिए उपस्थित होने के लिए विनती करता हूं” कह कर शुरू करते हैं, क्योंकि इसे कोर्टरूम शिष्टाचार का हिस्सा माना जाता है. जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के समक्ष जब एक वकील ने जब यह कहकर शुरू किया : मैं अपीलकर्ता के लिए उपस्थित होने के लिए विनती करता हूं, तो हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा रे ने हस्तक्षेप किया. खंडपीठ ने वकील से कहा कि उसे न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार है, और उस अधिकार को कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता. दलीलें पेश करने की अनुमति मांगते समय ””””विनती या भीख मांगने जैसे”””” शब्द का उपयोग करना औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. न्यायालय ने कहा : आप लोग ”भीख” शब्द का प्रयोग क्यों करते हैं? यह औपनिवेशिक अभिव्यक्ति अब खत्म हो चुकी है और हम स्वतंत्र हैं. आपके पास प्रतिनिधित्व करने का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार है. आप कह सकते हैं कि मैं अपीलकर्ता की ओर से पेश हो रहा हूं. आपका अधिकार है. कोई भी आपको मना नहीं कर सकता. आप भीख शब्द का प्रयोग क्यों करते हैं? न्यायालय एक पत्नी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने उस घर से बेदखल करने और उस पर कब्जा करने के पहले के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें वह रह रही थी.

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