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चिकित्सक सुरक्षा : सुप्रीम कोर्ट ने एनटीएफ से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुनवाई हुई.

शीर्ष अदालत में हुई आरजी कर मामले की सुनवाई, कोर्ट ने पक्षकारों को सुझाव देने को कहा

कोलकाता/नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे लिंग आधारित हिंसा रोकने तथा अस्पतालों में चिकित्सकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करने के संबंध में अपनी सिफारिशें और सुझाव उसके (शीर्ष अदालत) द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) के साथ साझा करें. प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि एनटीएफ मंगलवार से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट उसके विचारार्थ दाखिल करेगा. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने आरजी कर कांड के मद्देनजर चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 20 अगस्त को एनटीएफ का गठन किया था. प्रधान न्यायाधीश ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 17 मार्च, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में की जायेगी. लेकिन, उन्होंने सुझाव दिया कि यदि दुष्कर्म एवं हत्या मामले की सुनवाई में देरी होती है तो पक्षकार पहले सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं. कोर्ट ने एम्स से यह भी कहा कि डॉक्टरों के विरोध के दौरान उनकी अनुपस्थिति को उनकी सेवा से अलग मानने के संबंध में याचिका पर विचार करे. अदालत को उम्मीद है कि यह मामला अगले महीने तक निपटा लिया जायेगा.

इससे पहले एनटीएफ ने नवंबर में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है. यह रिपोर्ट केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का हिस्सा थी.

इसके साथ ही, एनटीएफ ने कहा कि राज्य के कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत गंभीर अपराधों के अलावा दिन-प्रतिदिन के छोटे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं. एनटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की थीं. इसमें कहा गया कि 24 राज्यों ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए पहले ही कानून बना लिए हैं, जिसके तहत ‘स्वास्थ्य देखभाल संस्थान’ और ‘चिकित्सा पेशेवर’ शब्दों को भी परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि दो और राज्यों ने इस संबंध में विधेयक पेश किये हैं. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को कहा था कि वह मामले में सीबीआइ की स्थिति रिपोर्ट में दिये गये निष्कर्षों से परेशान है, जबकि विवरण का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि कोई भी खुलासा चल रही जांच को खतरे में डाल सकता है. मामले में वकील वृंदा ग्रोवर ने पीड़िता के माता-पिता का पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें सीबीआइ से पूरक आरोपपत्र दाखिल करने की उम्मीद है, जिससे इस अपराध में शामिल सभी दोषियों का पर्दाफाश हो सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कुल 81 गवाहों की गवाही दर्ज होनी है, जिनमें से 43 की गवाही पूरी हो चुकी है.

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