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आरजी कर मामले में डाॅक्टर संघ को फैसला नामंजूर

आरजी कर कांड में सियालदह कोर्ट के फैसले से डॉक्टर एसोसिएशन संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि यह कैसा इंसाफ है? सिर्फ संजय राय को ही उम्रकैद मिली, जबकि अन्य चार आरोपियों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया.

कहा- यह कैसा न्याय, एक को उम्रकैद व अन्य चार जांच से बाहर

न्याय आधा-अधूरा, हमें चाहिए पूरा इंसाफ

संवाददाता, कोलकाताआरजी कर कांड में सियालदह कोर्ट के फैसले से डॉक्टर एसोसिएशन संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि यह कैसा इंसाफ है? सिर्फ संजय राय को ही उम्रकैद मिली, जबकि अन्य चार आरोपियों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया. इनका डीएनए भी पीड़िता के शव पर पाया गया था. यह आधा-अधूरा न्याय है. हम इससे खुश नहीं हैं. हमें पूरा इंसाफ चाहिए. इसके लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी. सियालदह कोर्ट के बाहर सर्विस डॉक्टर्स फोरम के कोषाध्यक्ष डॉ सपन घोष ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि संजय राय को फांसी या उम्रकैद होगी. कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनायी. यदि कोर्ट उसे फांसी की भी सजा देता, तो हम संतुष्ट नहीं होते. क्योंकि केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट के अनुसार, मृत महिला चिकित्सक की बॉडी पर कम से कम पांच लोगों का डीएनए मिला था. इनमें से एक संजय राय है, तो और चार लोग कहां गये? इस मामले में सीबीआइ ने भी ठीक से जांच नहीं की.

अदालत का फैसला न्याय का उपहास

सर्विस डॉक्टर्स फोरम की महासचिव ने एक प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा कि सियालदह कोर्ट में अभया मामले में संजय राय को एकमात्र दोषी के रूप में पहचाना गया और इस घटना को रेयरेस्ट ऑफ रेयर भी नहीं बताया गया. परिणामस्वरूप संजय को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. इससे जनता में भारी निराशा पैदा हुई है. यह न्याय का उपहास से कम नहीं है. सीबीआइ ने पहले इस घटना को दुर्लभतम मामला बताते हुए अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी, जिसे देखकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी हैरान रह गये थे. फिर भी सोमवार को अपराध को कम कर दिया गया है और अभियुक्त को अधिकतम दंड नहीं दिया गया है. यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अपासी सांठगांठ को उजागर करता है. क्योंकि सीबीआइ ने पहले ही कोलकाता पुलिस की जांच रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी. जनता के दबाव के कारण इस मामले में डॉ संदीप घोष और अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया गया था. 90 दिनों के भीतर उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं किया गया, जिससे उन्हें जमानत मिल गयी. वहीं, केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में मृतका के शरीर पर पांच लोगों के डीएनए की मौजूदगी का खुलासा हुआ था. इसके बावजूद अदालत ने केवल संजय राय को दोषी ठहराया है. अन्य चार आरोपियों का कोई उल्लेख नहीं किया गया. महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिये गये. इस फैसले को उचित न्याय नहीं माना जा सकता. यह केवल एक दिखावा है.

आरजी कर कांड को लेकर नर्सों का आंदोलन भी रहेगा जारी

कोलकाता. आरजी कर कांड में कोर्ट के फैसले पर नर्सों के संगठन ‘नर्सेस यूनिटी’ ने भी निराशा व्यक्त की है. संजय राय को उम्र कैद की सजा सुनाये जाने के दौरान संगठन की सचिव भास्वती मुखर्जी सोमवार को कोर्ट के बाहर मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि वे आरजी कर कांड को लेकर पहले दिन यानी गत वर्ष नौ अगस्त से आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन अंत में उन्हें निराशा ही हाथ लगी है. कोर्ट ने संजय राय को उम्र कैद देकर उन्हें निराश किया है. लेकिन आरजी कर की पीड़िता को जब तक न्याय नहीं मिल जाता तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने सीबीआइ की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया.

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