अभिजीत मंडल और डॉ संदीप घोष को फिर तीन दिनों की सीबीआइ हिरासत

कोर्ट के बाहर दोनों के खिलाफ लगे ‘चोर-चोर’ के नारे, दिखाये गये जूते-चप्पल

By Prabhat Khabar News Desk | September 18, 2024 12:50 AM
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कोलकाता. आरजी कर मामले में गिरफ्तार टाला थाना के तत्कालीन ओसी अभिजीत मंडल और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष की तीन दिनों की सीबीआइ हिरासत की अवधि समाप्त होने पर मंगलवार को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया, जहां सीबीआइ की ओर से कहा गया कि आरोपियों के मोबाइल फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग की जांच की गयी है. साथ ही अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग की भी जांच की जा रही है. कुछ संदेहजनक फोन नंबरों का भी पता चला है. घटना के बाद दोनों आरोपियों ने उन फोन नंबरों पर कई बार बातें की हैं. साथ ही अस्पताल में कुछ संदेहजनक लोगों की आवाजाही की बात भी पता चली है. ऐसे में मामले की जांच के तहत आरोपियों से पूछताछ जरूरी है. इस बाबत सीबीआइ ने दोनों की फिर से सीबीआइ हिरासत का आवेदन किया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया और उन्हें तीन दिनों की सीबीआइ हिरासत में भेज दिया. सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने मामले के पीछे बड़ी साजिश हो सकती है. सीबीआइ ने घटना के बाद सबूतों से छेड़छाड़, क्राइम स्पॉट से सबूत मिटाने व पुलिस की जांच प्रक्रिया देर से शुरू करने का भी आरोप लगाया गया है. यह भी कहा गया है कि अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों की जांच से यह पता चला है कि कुछ संदेहजनक लोगों का अस्पताल में काफी-आना जाना था. मामले में तथ्य मिले हैं कि गिरफ्तार सिविक वॉलंटियर संजय राय को भी दोनों आरोपी अच्छी तरह से जानते थे, जिसका अवैध तरीके से अस्पताल में आना-जाना भी था. वारदात के बाद संदीप घोष व टाला थाने के तत्कालीन ओसी के बीच फोन पर कई बार बातचीत हुई थी. दोनों के मोबाइल फोन की कॉल रिकॉर्डिंग की जांच से इसकी पुष्टि हुई है. इधर, टाला थाना के तत्कालीन ओसी मंडल के वकील ने अदालत में दावा किया कि उनके मुवक्किल को जांच में शामिल एक सरकारी अधिकारी के तौर पर और सभी नियमों का पालन करते हुए गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनका कहना है कि उन्होंने तीन दिनों तक उनके मुवक्किल के मोबाइल फोन के कॉल्स रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग की जांच की है. इसकी जांच लिए उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी. उन्होंने यह भी कहा कि मंडल सीबीआइ अधिकारियों के समक्ष नौ बार हाजिर हुए थे. इधर, न्यायाधीश ने सीबीआइ के अधिवक्ता से पूछा कि सीबीआइ साजिश की बात बोल रही है. दुष्कर्म व हत्या के मामले में साजिश हुई थी या मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने व प्रमाण नष्ट करने को लेकर षडयंत्र हुआ. सीबीआइ के पास ऐसा कोई तथ्य है. इस पर सीबीआइ की ओर से कहा गया कि अधिकारी मामले के हर पहलुओं की जांच कर रहे हैं. जांच प्राथमिक स्तर पर है. इसके बाद ही न्यायाधीश ने कहा कि यदि दुष्कर्म व हत्या की साजिश हुई है, तब यह गंभीर मामला है. इसकी अलग से प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत है. सीबीआइ के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि केंद्रीय जांच एजेंसी हर पहलुओं की तफ्तीश कर रही है. हो सकता है कि दुष्कर्म व हत्या के पहले ही कोई साजिश हो. आरोपियों से पूछताछ जरूरी है. सीबीआइ की ओर से यह भी आरोप लगाया मामले की प्राथमिकी काफी घंटों बाद दर्ज की गयी. मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल भी काफी देर से घटनास्थल पर पहुंचे. घटना के बाद जो कदम उठाने चाहिए थे, उसको लेकर संदेह पैदा होना लाजमी है. सीबीआइ ने संदीप और टाला थाने के ओसी की भूमिका पर सवाल उठाया है.

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