Durga Puja 2024 : दुर्गापूजा में अब महज गिने-चुने कुछ दिन ही रह गये हैं. इस बीच मौसम की बेरुखी से कुम्हारटोली के मूर्तिकारों में मायूसी है. उनके माथे पर शिकन आ गयी है. मूर्तिकार इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर ऐसे ही बारिश रहा तो ऐसी स्थिति में मूर्तियों को अंतिम रूप देकर आखिर पंडाल में कैसे भेजा जायेगा.बता दें कि दुर्गापूजा के माह भर पहले से ही रह-रह कर कुछ दिनों के अंतराल पर अक्सर बारिश हो रही है. महानगर समेत बंगाल के कई जिलों में विगत कुछ दिनों से बारिश का मौसम बरकरार है. ऐसे मौसम ने मूर्तिकारों को चिंता में डाल दिया है. उनके काम की रफ्तार में बारिश बाधा बन गयी है.
चिंता में डूबे कुम्हारटोली के मूर्तिकार
कुम्हारटोली के मूर्तिकारों का कहना है कि दो दिन मौसम ठीक रह रहा है, तो फिर तीसरे दिन ही बारिश शुरू हो जा रही है. ऐसे में मूर्ति पूरी तरह से सुखी नहीं है. दिन-रात मेहनत करने के साथ ही मूर्ति को बारिश से बचाने के लिए प्लास्टिक से ढकने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इस बार शुरुआत से ही कुम्हारटोली में हरेक मूर्तिकारों को प्लास्टिक से मूर्तियों को ढककर ही काम करना पड़ा है. कुम्हारटोली में बड़ी से लेकर छोटी-छोटी मूर्तियों की कतारें लगभग अधिकांश ही प्लास्टिक से ढकी हुई है क्योंकि मौसम का कोई भरोसा नहीं है.
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बारिश के कारण अब नहीं ले रहे है मूर्तियों के आर्डर
कुम्हारटोली के मूर्तिकार सनातन पाल ने बताया कि अभी हमारे पास समय ही नहीं रह गया है. बारिश के कारण परेशानी में है. मूर्तियों के आर्डर और उसे समय से पहुंचाने को लेकर चिंता में डूबे है. समय पर अंतिम फिनिशिंग टच हो पायेगा या नहीं, इसे लेकर चिंतित है. कुम्हाटोली के एक मूर्तिकार ने कहा है कि एक बड़ी मूर्ति की मिट्टी को सूखने में 10-15 दिनों का समय लग जाता है.
बारिश के कारण नहीं सूख रहीं है प्रतिमा
अभी तो प्रतिमाओं की मिट्टी पूरी तरह से सूखी भी नहीं है. उसके बाद रंग-रोगन, सजावट काम आता है, लेकिन अगर लगातार बारिश होती रही तो मूर्ति पर लगी मिट्टी सूखने में भी बहुत परेशानी होगी. अधिक धूप नहीं मिलने से मिट्टी का पूरा अंश सूखता नहीं है और गीली रह जाती है. बारिश के कारण मूर्तिकारों को काम आगे बढ़ाने में मशक्कत करनी पड़ रही है. ब्लू-लैंप के साथ भी काम नहीं हो पा रहा है.
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क्या कहना है मूर्तिकारों का
वहीं एक अन्य मूर्तिकार ने बताया कि परिस्थिति ऐसी हो गयी है कि हम मूर्तियों को बारिश से बचाने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं. महालया से पहले ही मूर्तियों को पंडालों में जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन स्थिति सोचनीय हो गयी है. आखिर हम प्रतिमाओं को कैसे समय पर पंडाल में पहुंचा सकेंगे. कुम्हारटोली के मूर्तिकार मिंटू पाल ने बताया कि मौसम से परेशान है. क्या कहे, हमलोगों का जो हाल है, वह हम लोग ही समझ पा रहे है.
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