ईस्ट बंगाल ने आइएसएल पर सौतेले बर्ताव का लगाया आरोप
इस क्लब और इसके समर्थकों ने विभाजन से पहले और बाद के उथल-पुथल भरे दौर को अपनी जुझारू भावना के बल पर ही झेला है.
खेलमंत्री से की हस्तक्षेप करने की मांग कोलकाता. इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) के आयोजकों पर ‘सौतेले बर्ताव’ का आरोप लगाते हुए ईस्ट बंगाल क्लब ने केंद्रीय खेलमंत्री मनसुख मांडविया से दखल देने की मांग की है. क्लब ने यह भी कहा कि पक्षपात, ‘रिफ्यूजी क्लब’ के ठप्पे और रेफरिंग विवादों से भारत की इस शीर्ष फुटबॉल प्रतियोगिता में उनकी प्रगति बाधित हुई है. यह घटना गुवाहाटी में शनिवार को हुए मैच के दौरान की है, जब ईस्ट बंगाल को चिर प्रतिद्वंद्वी मोहन बागान ने एक गोल से हरा दिया. क्लब ने दावा किया कि मैच में पक्षपातपूर्ण रेफरिंग की गयी और उन्हें एक पेनल्टी नहीं दी गयी, जबकि मिडफील्डर सौविक चक्रवर्ती को विवादास्पद पीला कार्ड दिया गया, जो बाद में लालकार्ड में बदल गया और टीम को 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा. खेलमंत्री मांडविया को की गयी भावनात्मक अपील में ईस्ट बंगाल ने कहा : लड़ो, लड़ो और लड़ो. यह पिछले 150 साल से ईस्ट बंगाल क्लब का मोटो हो गया है. इस क्लब और इसके समर्थकों ने विभाजन से पहले और बाद के उथल-पुथल भरे दौर को अपनी जुझारू भावना के बल पर ही झेला है. ईस्ट बंगाल के महासचिव रूपक साहा ने एक बयान में कहा : जबकि विस्थापित लोगों ने अपनी संपत्ति के लिए जी-जान से लड़ाई लड़ी. वहीं, क्लब को देश के अग्रणी फुटबॉल क्लब के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए ”शरणार्थी क्लब” के कलंक और टैग से लड़ना पड़ा. इसमें कहा गया : हमें आश्चर्य है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां ईस्ट बंगाल क्लब को आइएसएल के लगभग हर मैच में प्रताड़ित किया जाता है. हम सोचने पर मजबूर हैं कि हमारे साथ ये सब क्यों हो रहा है, क्या इसलिए क्योंकि हमें अभी भी ”शरणार्थियों का क्लब” माना जाता है. पिछले 10-12 वर्षों में हमें पक्षपातपूर्ण रेफरिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा है, चाहे वह आइ-लीग हो या आइएसएल.
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