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आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की अवैध इमारत को हो रही बचाने की कोशिश

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के मकान के एक हिस्से को अवैध बताया गया है. इस संबंध में एक व्यक्ति ने कोलकाता नगर निगम में शिकायत भी दर्ज करायी है

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शिकायतकर्ता ने नगर निगम पर लगाया आरोप

संवाददाता, कोलकाता

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के मकान के एक हिस्से को अवैध बताया गया है. इस संबंध में एक व्यक्ति ने कोलकाता नगर निगम में शिकायत भी दर्ज करायी है, जिसके आधार पर इस मामले की सुनवाई निगम के बिल्डिंग विभाग में हुई. सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कलकत्ता नगर निगम अवैध हिस्से को बचाने की लिए कोशिश कर रहा है. निगम के भवन निर्माण विभाग में सुनवाई के नाम पर तमाशा चल रहा है. यह सनसनीखेज आरोप शिकायतकर्ता स्ट्रक्चरल इंजीनियर अंशुमन सरकार ने लगाया है. बता दे कि संदीप घोष के घर की इमारत का एक हिस्सा अवैध रूप से बनाया गया है. इस संबंध में अंशुमन सरकार द्वारा आरजी कर कांड के बाद शिकायत की गयी थी. इस शिकायकत की सुनवायी बुधवार को निगम के बिल्डिंग विभाग में हेयरिंग ऑफिसर ने की. शिकायतकर्ता अंशुमन सरकार जो पेशे से स्ट्रक्चरल इंजीनियर हैं. उनके शिकायत के आधार पर ही जांच चल रही है. उनका आरोप है कि घर के ऊपरी हिस्से को अवैध रूप से तैयार किया गया है. इमारत की ऊंचाई नगर निगम की निर्धारित माप 12.5 मीटर से अधिक है. जो अवैध है. सुनवाई के बाद भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों के द्वारा दी गयी रिपोर्ट से शिकायतकर्ता अंशुमान सरकार नाराज हैं. उन्होंने दावा है कि सुनवाई में पारदर्शिता नहीं बरती गयी है और अधूरी रिपोर्ट पेश की गयी है. उनका यह भी आरोप है कि संदीप के घर का कोई मूल नक्शा नहीं है. अंशुमन सरकार का आरोप है कि ऐसे मामलों में सभी कागजात सुनवाई टेबल पर होने चाहिए. रिपोर्ट में कुछ भी जिक्र नहीं है. उन्होंने कहा कि सुनवायी के नाम पर तमाशा हुआ है. उनका आरोप है कि संदीप घोष के अवैध इमारत हो बचाने की कोशिश की जा रही है. इस दिन संदीप घोष के वकील सुमिताभ चक्रवर्ती ने कहा कि हमें अब तक शिकायत पत्र नहीं मिला है. हालांकि, अक्टूबर महीने में संदीप घोष ने निगम के निरीक्षण को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति कौशिक चंद्र की पीठ में मामला दायर किया था. कोर्ट ने निगम को निरीक्षण कर छह माह के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. निगम की इस सुनवाई को लेकर शिकायतकर्ता अंशुमान सरकार ने गुस्सा जाहिर करने के साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह जस्टिस कौशिक चंद्र के समक्ष इस मामले को रखेंगे.

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