Ek The Sitaram Yechury: सीताराम येचुरी देश की राजनीति का जाना-माना नाम थे. किसी भी विषय पर उनके तर्क सटीक हुआ करते थे. छात्र जीवन से वामपंथ को अपनाने वाले सीताराम ने राजनीति में एक बड़ा मुकाम हासिल किया. आईसीएसई के गोल्ड मेडलिस्ट ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से राजनीतिक में कदम रखा. फिर माकपा पोलित ब्यूरो और महासचिव तक का सफर तय किया.
सुरजीत से सीताराम ने सीखा राजनीतिक का ककहरा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 5वें महासचिव सीताराम येचुरी देश में वामपंथ के सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक थे. सभी दलों में उनके मित्र थे. हरकिशन सिंह सुरजीत से राजनीति का ककहरा सीखने वाले येचुरी ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन की उन्होंने पैरवी की. I.N.D.IA. के गठन में भी उनकी अहम भूमिका रही.
तैयार किया संयुक्त मोर्चा सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम
देश में 1989 में वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा और 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के कार्यकाल के दौरान दिवंगत माकपा नेता हरकिशन सिंह सुरजीत गठबंधन युग में प्रमुख नेता थे. इन दोनों ही सरकारों को माकपा ने बाहर से समर्थन दिया था. सीताराम येचुरी ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ मिलकर संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया था.
अपने गुरु की विरासत को सीताराम येचुरी ने जारी रखा
कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शिष्य सीताराम येचुरी ने गठबंधन बनाने की अपने गुरु की विरासत को जारी रखा. वर्ष 2004 में वामदलों के समर्थन से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई. भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के दौरान भी उनकी अहम भूमिका रही थी.
2015 में सीताराम येचुरी बने माकपा के महासचिव
हालांकि, प्रकाश करात के अड़ियल रवैये की वजह से वामदलों ने वर्ष 2008 में यूपीए-1 सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. वर्ष 2015 में जब सीताराम येचुरी पार्टी के महासचिव बने, तो पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा था कि महंगाई जैसे मुद्दों पर यूपीए समर्थन वापस ले लेना चाहिए था, क्योंकि वर्ष 2009 के आम चुनाव में परमाणु समझौते के मुद्दे पर लोगों को संगठित नहीं किया जा सका.
स्पष्ट वक्ता थे माकपा महासचिव सीताराम येचुरी
येचुरी किसी भी मुद्दे पर पूरी मजबूती के साथ अपनी बात रखते थे. वह स्पष्ट वक्ता थे. हिंदी, तेलुगु, तमिल, बांग्ला और मलयालम भी बोल लेते थे. हिंदू पौराणिक कथाओं के अच्छे जानकार थे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करने के लिए वह अक्सर उन संदर्भों का इस्तेमाल करते थे.
मोदी सरकार और उसकी उदार आर्थिक नीतियों के मुखर आलोचक
सीताराम येचुरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और उसकी उदार आर्थिक नीतियों के सबसे मुखर आलोचकों में से एक थे. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वर्ष 2018 में माकपा की केंद्रीय समिति ने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, तो पार्टी महासचिव येचुरी ने इस्तीफे तक की पेशकश कर दी. इसके बाद जब वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले एकजुट विपक्ष की चर्चा शुरू हुई, तो माकपा I.N.D.I.A. का हिस्सा बना. सीताराम येचुरी गठबंधन के प्रमुख चेहरों में एक थे.
सीताराम येचुरी का राजनीतिक में आना
– सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर एसएफआई से शुरू हुआ. 1974 में एसएफआई में शामिल हुए. अगले ही साल पार्टी के सदस्य बन गए.
– आपातकाल के दौरान कुछ महीने बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
– सीताराम येचुरी 3-3 बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए.
– 1978 में सीताराम येचुरी एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने.
– इसके तुरंत बाद वह एसएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए.
माकपा में तेजी से हुआ सीताराम येचुरी का उत्थान
माकपा में सीताराम येचुरी का उत्थान बहुत तेजी से हुआ. 1985 में माकपा की केंद्रीय कमेटी के लिए चुने गए. 1992 में 40 वर्ष की आयु में पोलित ब्यूरो के सदस्य बन गए. 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में माकपा के 5वें महासचिव बने. 2018 और 2022 में फिर से उन्हें इस पद के लिए चुना गया.
येचुरी का बचपन और उनकी शिक्षा-दीक्षा
– 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे सीताराम येचुरी के पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्रप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे. उनकी मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं. सीताराम येचुरी हैदराबाद में पले-बढ़े, लेकिन 1969 में उनका परिवार दिल्ली आ गया.
– मेधावी येचुरी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया. उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया.
– जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. कुछ समय तक भूमिगत रहने और विरोध प्रदर्शन करने के बाद आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी की वजह से वह अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर सके.
– सीताराम येचुरी 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. वह 2005 में उच्च सदन के लिए चुने गए और 2017 तक सांसद रहे. यूपीए-2 और उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में येचुरी विपक्ष की एक सशक्त आवाज बने रहे.
सीताराम येचुरी का परिवार
सीताराम येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती हैं. उनके बेटे आशीष येचुरी का 2021 में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था. उनकी बेटी अखिला येचुरी एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं. उनका एक बेटा दानिश येचुरी भी है. येचुरी की शादी पहले इंद्राणी मजूमदार से हुई थी.
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