संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस प्रसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने कहा कि नियोक्ता गलत तरीके से वेतनमान निर्धारित करने पर कर्मचारी को दी गयी अतिरिक्त राशि को सेवानिवृत्ति लाभों से नहीं काट सकता या समायोजित नहीं कर सकता. इस मामले में प्रतिवादी कर्मचारी को 26 मार्च 1996 को रामकृष्ण मिशन शिल्पपीठ, बेलघरिया, कोलकाता में लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया था और वह दिसंबर 2013 में सेवानिवृत्त हुए थे.
कर्मचारी को मार्च 2001 से कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) लाभ और 26 मार्च 2006 से दूसरा सीएएस दिया गया. हालांकि, न्यायालय ने पाया कि घोषणा पत्र ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड में शामिल नहीं था. न्यायालय ने कहा कि 24 अक्तूबर 2007 की सरकारी अधिसूचना में भरे जाने वाले घोषणा पत्र का कोई संदर्भ नहीं था. साथ ही कर्मचारी ने सीएएस के तहत लाभ बढ़ाने के समय कोई वचनबद्धता नहीं दी थी, इसलिए, न्यायालय ने माना कि इस मामले में निर्धारित सिद्धांत यहां लागू नहीं हो सकते. न्यायालय ने माना कि अपीलकर्ता के पास कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों से अतिरिक्त आहरित राशि वसूलने का प्रयास करने का कोई औचित्य नहीं था. खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के निर्णय को बरकरार रखते हुए याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की.
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