राज्य के दो स्वास्थ्य पोर्टल में मिलीं त्रुटियां, एक को बंद करने का निर्देश

दूसरे पोर्टल पर मौत का कारण नहीं, सिर्फ मृतकों की संख्या बतायी जाती है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 20, 2024 1:06 AM

कोलकाता. राज्य स्वास्थ्य विभाग के दो पोर्टल में विसंगतियां सामने आयी हैं. पोर्टलों में जारी मौत के आंकड़ों में जमीन आसमान का फर्क है. एक पोर्टल पर मौत का कारण बताते हुए मृतकों की संख्या जारी की जाती है. दूसरे पोर्टल पर मौत का कारण नहीं, सिर्फ मृतकों की संख्या बतायी जाती है. पहले पोर्टल में दूसरे की तुलना में मौत का आंकड़े कम दिखाये गये हैं. इस कारण राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इनमें से एक पोर्टल को बंद करने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार, जन्म-मृत्यु तथ्य (जेएमटी) पोर्टल के मुताबिक, पिछले साल छह लाख 62 हजार 991 लोगों की मौत हुई. मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज ऑफ डेथ पोर्टल के मुताबिक, 2023 में राज्य में मरने वालों की संख्या एक लाख 35 हजार 395 थी. राज्य सरकार के दोनों पोर्टल में मृतकों की संख्या में पांच लाख 27 हजार 596 का अंतर है. यह विसंगति 2022 और 2021 के आंकड़ों में भी पायी गयी. बता दें कि जब राज्य के किसी नागरिक की मृत्यु होती है, तो मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले उसका नाम राज्य पोर्टल पर दर्ज करना होता है. राज्य में ऐसे दो पोर्टल हैं. जेएमटी यानी जन्म-मृत्यु डेटा पोर्टल को 2019 में लॉन्च किया गया था. सिर्फ 2023 ही नहीं, बल्कि 2022 में के आंकड़े भी अलग-अलग हैं. एक पोर्टल में लगभग एक लाख लोगों की मौत का जिक्र है, जबकि दूसरे में यह आंकड़ा लगभग छह लाख बताता गया है. 2021 में एक पोर्टल ने एक लाख 22 लोगों की मौत का उल्लेख किया है, जबकि दूसरे ने पांच लाख 15 हजार की मौत होने की बात कही है. इसके मद्देनजर ही स्वास्थ्य भवन ने एक पोर्टल बंद करने का निर्णय लिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस पोर्टल पर जन्म और मृत्यु की जानकारी रखी जाती है, उसकी पहुंच केवल स्वास्थ्य केंद्रों, डॉक्टरों या मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों तक नहीं है. बल्कि पंचायतें, नगरपालिकाएं, श्मशान घाटों, दफन भूमि प्राधिकरणों (कब्रिस्तान) तक भी उसकी पहुंच है. जहां से मौत का कारण बताये बिना मृतक की संख्या जोड़ दी जाती है. डॉ योगीराज राय ने कहा कि एक पोर्टल की श्मशान, कब्रिस्तान, नगर निकाय व पंचायत सभी की पहुंच है. ऐसे में अंतर बना रहेगा. क्योंकि ज्यादातर लोग घर पर ही मरते हैं. अगर डॉक्टर मृत्यु प्रमाण पत्र देता है, तो हमें यह देखना होगा कि इसे कौन अपलोड करता है. उन्होंने कहा, इस असंगति का असर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है. क्योंकि अगर मौत का कारण पता नहीं चलेगा तो समझ ही नहीं आयेगा कि कौन सा रोग बढ़ रहा है. प्रोफेसर डॉ मानस गुमटा ने कहा कि कोविड व डेंगू के दौरान भी जानकारी छुपायी गयी थी. यह साबित होता है कि सरकार मौत के तथ्यों को छुपा रही है. अगर जन्म और मृत्यु की जानकारी की बात करें, तो केंद्र सरकार को भी जानकारी दी जानी चाहिए.

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