पांच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से बदलेगी बंगाल की तस्वीर
केंद्र की मदद से पश्चिम बंगाल में पांच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है. इनके पूरा होने पर राज्य की तस्वीर ही बदल जायेगी.
खर्च होंगे 1.20 लाख करोड़ रुपये
अमर शक्ति, कोलकाताकेंद्र की मदद से पश्चिम बंगाल में पांच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है. इनके पूरा होने पर राज्य की तस्वीर ही बदल जायेगी. पांच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण पर 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, खड़गपुर-बर्दवान- मोरग्राम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे 230 किलोमीटर लंबा होगा, जो कुछ स्थानों पर चार व बाकी हिस्सों में छह लेन का होगा. इसी प्रकार, सिलीगुड़ी से गोरखपुर को जोड़ने वाला 519 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भी बन रहा है. वहीं, हावड़ा से वाराणसी के लिए 620 किलोमीटर लंबा छह लेन की सुविधा वाले एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य भी जारी है. हल्दिया से रक्सौल के लिए 692 किमी लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बन रहा है. यह एक्सप्रेसवे भी चार व छह लेन का होगा. जोका से लेकर नामखाना तक चार लेन वाला एक और एक्सप्रेसवे का निर्माण जा रहा है. इससे गंगासागर जाने वाले लोगों को काफी सहूलियत होगी. पश्चिम बंगाल में गत तीन वर्षों में 967 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया गया है. इस पर कुल 15404 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.यहां चल रहा है काम
230 किमी लंबे खड़गपुर-बर्दवान- मोरग्राम ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर 10,247 करोड़ रुपये खर्च होंगेगोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे ( 519 किलोमीटर) पर 32,000 करोड़ खर्च होंगे हल्दिया – रक्सौल ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे ( 692 किलोमीटर) पर 40,000 करोड़ रुपये होंगे खर्चहावड़ा – वाराणसी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे ( 620 किलोमीटर) पर आयेगा 28,500 करोड़ का व्ययजाेका – नामखाना एक्सप्रेसवे (99 किलोमीटर) पर 3066 कराेड़ रुपये व्यय का अनुमानक्या है ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे:
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे क्या है? जैसा कि नाम से जाहिर है, इन्हें हरे मैदानों या खेतों के बीच से निकाला जाता है. यहां भूमि अधिग्रहण आसान होता है. जमीन समतल होती है और शहर से थोड़ी दूर होने के कारण भीड़-भाड़ भी कम होती है. इन्हें बनाना और फिर यहां उच्च गति पर वाहनों का परिचालन करना आसान होता है. ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को शहरों के बीच से कम ही निकाला जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है