भेड़ियों की गिनती से उनसे जुड़े खतरों को कम करने में मिलेगी मदद
जीतेश बोरकर, खड़गपुर.
झाड़ग्राम वन विभाग के जंगल में मांसाहारी जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है. उस सूची में लोमड़ी, सियार और भेड़िये शामिल हैं. वन विभाग के अनुसार बेलपहाड़ी जंगल में भेड़ियों की संख्या काफी बढ़ गयी है. इसीलिए झाड़ग्राम वन प्रभाग के विभिन्न वन क्षेत्रों में भेड़ियों की गणना कराने का निर्णय लिया गया है. वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, इसी महीने झाड़ग्राम वन प्रभाग के बांसपहाड़ी, भुलाबेदा, बेलपहाड़ी और शिलदा रेंज के जंगलों में भेड़ियों की गणना शुरू होगी. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले डेढ़ दशक में वनों का घनत्व बढ़ा है और खाद्य शृंखला में संतुलन वापस आया है. इसलिए जंगल में कितने भेड़िये हैं, इसका स्पष्ट डेटा होना जरूरी है. डीएफओ (झारग्राम) उमर इमाम ने कहा कि झाड़ग्राम वन प्रभाग के विभिन्न जंगलों में उपयुक्त प्रजनन वातावरण के कारण जंगली जानवरों की संख्या में वृद्धि हुई है. जंगल में भेड़ियों की संख्या जानने के लिए गणना की जायेगी. इसके लिए जंगल में कैमरे लगाये जायेंगे. पूर्व वन अधिकारी समीर मजूमदार ने कहा कि चूहे, जंगली खरगोश और जंगली सूअर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, ये भेड़ियों के भोजन हैं. नतीजतन, भेड़िये पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में भूमिका निभाते हैं. बदलती परिस्थितियों में जंगल घने हुए हैं. जंगली सूअर, जंगली खरगोशों की संख्या भी बढ़ी है. भेड़िये अक्सर अलग-अलग जंगलों में देखे जाते हैं. इसमें झाड़ग्राम रेंज के कुछ जंगल भी शामिल हैं. वन विभाग का दावा है कि लगातार प्रचार-प्रसार के कुछ कार्यों के कारण शिकार महोत्सव में भीड़ में कमी आयी है. परिणामस्वरूप जंगली जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है. वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार के जंगल में आदर्श वातावरण के कारण बाघ भी सिमलीपाल से बेलपहाड़ी जंगल की ओर आ रहे हैं. स्थानीय वनवासी यह भी बताते हैं कि उन्होंने जंगल में सूखी पत्तियां इकट्ठा करते समय भेड़ियों को देखा है. कभी-कभी भेड़ियों को झुंड में भी देखा गया है. इससे आशंका पैदा हो गयी है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में झाड़ग्राम जिले में भेड़ियों ने बकरियों और मुर्गियों पर हमला किया है. कुछ मामलों में, भेड़ियों ने स्थानीय लोगों पर भी हमले किये हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब कोई भेड़िया बीमार या घायल होता है तो वह झुंड से अलग हो जाता है और हिंसक व्यवहार करता है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए भेड़ियों की गणना करायी जायेगी.कैसे होगी गिनती
भेड़ियों की गणना के लिए जंगल में उनकी आवाजाही वाले क्षेत्र में 500 मीटर के अंतराल पर नाइट विजन ट्रैप कैमरे लगाये जायेंगे. प्रत्येक क्षेत्र में वनकर्मी भेड़िये के पैरों के निशान इकट्ठा करने के लिए कई दिनों तक पैदल जंगल में जायेंगे. जंगल में भेड़ियों की मौजूदगी के अन्य लक्षण (पेड़ों पर खरोंचें, मल आदि) एकत्रित किये जायेंगे और उनकी समीक्षा की जायेगी. डीएफओ ने कहा कि भेड़ियों के निवास वाले जंगलों की पहचान करने के बाद उन्हें जोन में बांटकर उन जंगलों में 25 कैमरे लगाये जायेंगे, जहां उनकी गणना की जायेगी. इस प्रकार कुछ तरीकों को अपनाकर जंगल में भेड़ियों की संख्या का पता लगाया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है