पति और सहकर्मी के बीच दोस्ती को अवैध संबंध नहीं माना जा सकता : हाइकोर्ट
अदालत ने कहा कि पत्नी द्वारा उनके बीच अवैध यौन संबंध माना जाना अस्वीकार्य है, क्योंकि पत्नी की ओर से इस संबंध में कोई भी गवाह या सबूत पेश नहीं किया गया.
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने पति-पत्नी के विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता पति का उसके कार्यालय के सहकर्मी के बीच महज दोस्ती को अवैध यौन संबंध नहीं समझा जा सकता. ऐसा आरोप लगाना पति के साथ क्रूरता करने के समान है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायाधीश उदय कुमार की खंडपीठ ने कहा कि पति और उसके कार्यालय के सहयोगी के बीच दोस्ती और पति की सर्जरी के समय ऐसे दोस्तों के बीच निकटता को अवैध संबंध नहीं कहा जा सकता. अदालत ने कहा कि पत्नी द्वारा उनके बीच अवैध यौन संबंध माना जाना अस्वीकार्य है, क्योंकि पत्नी की ओर से इस संबंध में कोई भी गवाह या सबूत पेश नहीं किया गया. हाइकोर्ट ने कहा कि बिना किसी सबूत या गवाह के पत्नी के सभी आरोपों को निराधार माना जाना चाहिए. पक्षकारों के वकील को सुनने के बाद, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान मामले में, ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला कि पति का अवैध संबंध था और उसके खिलाफ तुच्छ आपराधिक मामले दर्ज करने के साथ-साथ बिना आधार के अवैध संबंध के आरोप लगाने की पत्नी की कार्रवाई क्रूरता के समान थी. यह कहते हुए अदालत ने पति की तलाक की याचिका मंजूर कर ली और मामले का निपटारा कर दिया.
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