कोलकाता. अगर किसी विभाग का वार्षिक बजट तीन लाख रुपये से अधिक हो जाता है, तो निर्धारित राशि का 60 प्रतिशत ही खर्च किया जा सकता है. जादवपुर विश्वविद्यालय ने संकेत दिया है कि बजट में कमी के कारण उसे ‘गंभीर वित्तीय स्थिति’ का सामना करना पड़ रहा है और खर्च पर सामान्य प्रतिबंध जारी रहेगा. जेयू के वित्त अधिकारी देबाशीष पाल द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान में कहा गया है कि गैर वेतन मद (जैसे छात्रावास और पुस्तकालय व्यय) में शुद्ध घाटा 2022-23 के लिए 21.98 करोड़ और 2023-24 के लिए 19.89 करोड़ रुपये आंका गया है. बयान में कहा गया है कि निकट भविष्य में पुनःपूर्ति की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है. इस विषय में वित्त अधिकारी ने लिखा है, ‘चालू वर्ष में बजट प्रावधानों पर समग्र प्रतिबंध, विशेष रूप से विभिन्न गैर वेतन आवश्यक व्यय के तहत, इस वर्ष भी जारी रखने का निर्णय लिया गया है. वित्त समिति ने अपनी बैठक में विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण वित्तीय स्थिति की समीक्षा की और यथास्थिति बनाये रखने पर ध्यान दिया. जेयू के एक अधिकारी ने बताया कि विभागों से कहा गया है कि प्रयोगशाला शिक्षण और विभागीय अनुसंधान जैसे कार्यों के तहत अगर वार्षिक बजट तीन लाख रुपये या उससे कम है, तो बजट राशि का केवल 70 प्रतिशत ही खर्च किया जा सकता है. अगर किसी विभाग का वार्षिक बजट तीन लाख रुपये से अधिक हो जाता है, तो निर्धारित राशि का केवल 60 प्रतिशत ही खर्च किया जा सकता है. वित्त अधिकारी ने लिखा है कि इस प्रकार विश्वविद्यालय के बजट से उपलब्ध धन के प्रभावी उपयोग के लिए सभी संबंधित पक्षों का एक योजनाबद्ध और सतर्क दृष्टिकोण बहुत आवश्यक है. खर्च पर प्रतिबंध 2022 में लगाया गया था और चूंकि वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, इसलिए प्रतिबंध अभी भी लागू हैं.
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