सरकारी संपत्ति के रखरखाव व निगरानी के लिए एक ऐप लॉन्च करेगी राज्य सरकार
अब राज्य सरकार सरकारी संपत्तियों पर निरंतर निगरानी रखने के लिए एक ओटीपी आधारित ऑनलाइन मोबाइल ऐप लॉन्च कर रही है.
विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों की तय की जायेगी जवाबदेही
संवाददाता, कोलकाताराज्य की कई सरकारी संपत्तियों की स्थिति बदहाल है. सड़कों की जर्जर अवस्था, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिलास्तर के स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी ढांचे में कमी सहित अन्य शिकायतें मिलती हैं. कई इलाकों में स्कूल के भवन, आइसीडीएस केंद्रों की स्थिति पर भी सवाल उठते रहते हैं और जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे की निगरानी में प्रशासनिक उदासीनता हमेशा सामने आती रही है. अब, राज्य सरकार इन सरकारी संपत्तियों पर निरंतर निगरानी रखने के लिए एक ओटीपी आधारित ऑनलाइन मोबाइल ऐप लॉन्च कर रही है, जिसका उद्देश्य सरकारी बुनियादी ढांचे का नियमित रखरखाव और सुधार करना है.विगत 13 वर्षों में राज्य सरकार ने स्कूलों, कॉलेजों, आइसीडीएस केंद्रों, सड़कों, अस्पतालों, छोटे पुलों, बांधों आदि के समग्र बुनियादी ढांचे के विकास में काफी रुपये खर्च किये हैं. इसके लिए ब्लॉक स्तर के अधिकारी को सप्ताह में एक दिन अपने क्षेत्र में सरकारी बुनियादी ढांचे का दौरा करना होगा. इस दौरे की घोषणा पहले से नहीं होनी चाहिए, अधिकारी जमीनी हालात को देखने के लिए औचक दौरा करेंगे.
रंग के आधार पर संपत्ति की स्थिति की दी जायेगी जानकारी : बताया गया है कि अधिकारी दौरा कर ऐप के माध्यम से तीन रंगों के आधार पर संपत्ति की परिस्थिति के बारे में जानकारी अपलोड करेंगे. यदि बुनियादी ढांचे को अभी किसी नवीनीकरण या उन्नयन की आवश्यकता नहीं है, तो ऐप में हरा रंग दिखाई देगा. जिस संपत्ति के नवीकरण की आवश्यकता है, उन्हें पीले रंग से चिह्नित किया जायेगा और यदि किसी संपत्ति का तत्काल नवीनीकरण जरूरी है तो इसमें लाल सिग्नल दिया जायेगा. ऐप में रियल टाइम जियो टैग और बुनियादी ढांचे की वर्तमान तस्वीर का रियल टाइम संदर्भ होगा.निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को अधिक जवाबदेह बनाने का लक्ष्य : राज्य सचिवालय के वित्त विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस ऐप के जरिए निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को अधिक जवाबदेह बनाना संभव होगा. प्रत्येक निरीक्षण प्रतिवेदन की बीडीओ, एसडीओ एवं जिला स्तर पर नियमित समीक्षा की जायेगी और यदि आवश्यक हो तो पुनः निरीक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए. कार्यालय में इस प्रयोजन के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी इन रिपोर्टों की समीक्षा करेंगे और उन्हें विभाग प्रमुख के ध्यान में लायेंगे. उसके बाद आवश्यक प्रशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
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