लाइव प्रसारण को लेकर सही नहीं है राज्य सरकार का तर्क : अशोक गांगुली
मुख्यमंत्री के साथ जूनियर डॉक्टरों की बैठक, इसलिए नहीं हो पायी कि सरकार लाइव प्रसारण के लिए राजी नहीं थी. वहीं जूनियर डॉक्टर इसके लिए अड़े हुए थे. राज्य सरकार का यह तर्क था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
शीर्ष अदालत ने बैठक के तौर-तरीकों को लेकर नहीं दिया है कोई दिशानिर्देश
संवाददाता, कोलकातामुख्यमंत्री के साथ जूनियर डॉक्टरों की बैठक, इसलिए नहीं हो पायी कि सरकार लाइव प्रसारण के लिए राजी नहीं थी. वहीं जूनियर डॉक्टर इसके लिए अड़े हुए थे. राज्य सरकार का यह तर्क था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए लाइव प्रसारण नहीं किया जा सकता है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के कारण लाइव प्रसारण नहीं हो सकता है, यह तर्क सही नहीं है. विचाराधीन मामले पर यदि बैठक हो सकती है, उसे रिकॉर्ड करने की बात हुई, फिर ऐसे में लाइव प्रसारण पर आपत्ति क्यों. कानून में ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने यह कहा था कि सरकार व डॉक्टर बातचीत कर गतिरोध को दूर करें. यह बातचीत कैसे होगी, इस बारे में अदालत का कोई निर्देश नहीं था. तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि जब कोई बातचीत होती है, तो उसका कहां लाइव प्रसारण किया जाता है. कानून में ऐसा कहीं नहीं है कि लाइव प्रसारण बाध्यतामूलक है. जबरन एक के बाद एक शर्त लगायी जा रही है. उन्होंने कहा कि लाइव प्रसारण की जरूरत ही क्यों है.लाइव प्रसारण में कोई कानूनी बाधा नहीं है : विकास रंजन
वहीं, माकपा नेता व अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि लाइव प्रसारण में कोई कानूनी बाधा नहीं है. बैठक नहीं करने के इरादे से लाइव प्रसारण पर सरकार तैयार नहीं हुई. अन्य समय पर प्रशासनिक बैठक तो लाइव होता है. इस समय क्यों नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जो कह रही हैं, वह तर्कसंगत नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है