कोलकाता नगर निगम में प्रशासक नियुक्ति पर राज्यपाल को मुख्य सचिव से नहीं मिला जवाब, हुए नाराज, अब CM ममता से मांगा जवाब

राज्य सरकार द्वारा कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) में प्रशासक नियुक्त किये जाने और उसकी जानकारी नहीं दिये से क्षुब्ध राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) से संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी मांगी है. इस अनुच्छेद के तहत मांगी गयी जानकारी मुख्यमंत्री देने के लिए बाध्य हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2020 6:50 PM
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कोलकाता : राज्य सरकार द्वारा कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) में प्रशासक नियुक्त किये जाने और उसकी जानकारी नहीं दिये से क्षुब्ध राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) से संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी मांगी है. इस अनुच्छेद के तहत मांगी गयी जानकारी मुख्यमंत्री देने के लिए बाध्य हैं.

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राज्यपाल द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कोलकाता नगर निगम से 6 मई, 2020 की अधिसूचना की जानकारी संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत देने के लिए अनुरोध किया गया है. राज्यपाल ने कहा कि संविधान के तहत दिये गये ‘कर्तव्यों’ का मुख्यमंत्री पालन करें. मुख्य सचिव इस बाबत सूचना दें.

राज्यपाल ने मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में कहा : कोलकाता नगर निगम के बारे में 06 मई की अधिसूचना अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है. हर विचार से इसे बिना किसी देरी के राजभवन भेजा जाना चाहिए, जबकि यह अधिसूचना मीडिया में उपलब्ध है. मुख्य सचिव तत्काल अधिसूचना के निर्णय की प्रक्रिया व निर्णय लेने के अधिकार के बार में बतायें. संविधान के भाग IX A के तहत इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये.

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पत्र में कहा गया है कि सुबह मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था, लेकिन मुख्य सचिव का जवाब नहीं मिलने के कारण संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जवाब मांगा गया है. संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत मुख्यमंत्री का राज्यपाल को सूचना देने कर्तव्य है. यह प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का कर्तव्य होता है. राज्य के राज्यपाल से राज्य के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों और कानून के प्रस्तावों के लिए संवाद करना, राज्य के मामलों के प्रशासन से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करना और राज्यपाल के लिए कानून का प्रस्ताव हो सकता है तथा यदि राज्यपाल जरूरत समझे, तो किसी भी मामले पर मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करने के लिए, जिस पर किसी मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है, लेकिन जिसे परिषद द्वारा नहीं माना गया है, उसे तलब करना शामिल है.

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