स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किया गया आदेश
चिकित्सकों के संगठन ने कहा सरकार ने की बदले की कार्रवाई
संवाददाता, कोलकातासरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक अब निजी अस्पताल में मनमाने ढंग से प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे. निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से सख्त आदेश जारी किया गया है. जारी गाइडलाइन के अनुसार, चिकित्सकों को अब लगातार आठ घंटे तक नियमित सरकारी अस्पताल में उपस्थित रहना होगा. सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वे प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि निजी प्रैक्टिस के लिए न केवल नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ते की अनुमति होगी, बल्कि सरकारी डॉक्टरों को स्वास्थ्य प्राधिकरण या स्वास्थ्य शिक्षा प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी लेना होगा. यहीं नहीं कार्यस्थल से 20 किमी के बाहर निजी क्लिनिक या अस्पताल में प्रैक्टिस वे नहीं कर सकते. वहीं, प्रत्येक डॉक्टर को सप्ताह में कम से कम छह दिन और 42 घंटे ड्यूटी पर रहना होगा. यह भी कहा गया कि अगर रात में ऑन-कॉल ड्यूटी पर कोई डॉक्टर है तो वह अगले दिन ‘डे ऑफ’ नहीं ले सकता. यहां तक कि, एक ही यूनिट में दो से अधिक शिक्षक-डॉक्टर एक साथ छुट्टी नहीं ले सकते हैं और अलग-अलग विभागों के कुछ शिक्षक-डॉक्टरों को हर रात ड्यूटी पर रहना पड़ेगा. इस नये आदेश से सरकारी डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग इससे नाराज है. इस संबंध में सरकारी डॉक्टरों के संगठन, एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के महासचिव प्रो. डॉ उत्पल बंद्योपाध्याय ने कहा कि यह उनके हाथ-पैर बांधकर बदला लेने की कोशिश की जा रही है. आरजी कर आंदोलन से जुड़े चिकित्सकों के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर रही है. हालांकि, कई अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर निजी अस्पतालों को ज्यादा समय दे रहे हैं. इसका खामियाजा सरकारी अस्पतालों के मरीजों को भुगतना पड़ा रहा है. इसीलिए इस सख्त आदेश को जारी किया गया है.
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