कोलकाता. एडवांस्ड सोसाइटी फॉर हेडमास्टर और हेडमिस्ट्रेस (एएसएफएचएम) ने हावड़ा के शरत सदन में अपनी पांचवीं वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया. पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हेडमास्टर और हेडमिस्ट्रेस के लंबे समय से लंबित मुद्दों का समाधान करने के लिए यह सभा आयोजित की गयी. बैठक का उद्घाटन बेलूर मठ के रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी विद्यमितानंद ने किया. अपने संबोधन में स्वामी विद्यामितानंद ने कहा कि बच्चों का भविष्य गढ़ने में शिक्षकों की बड़ी भूमिका है, उनकी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार को ठोस व्यवस्था करनी चाहिए और उनसे संवाद करना चाहिए. एएसएफएचएम के राज्य महासचिव चंदन मैती ने संगठन की मांगों को रेखांकित करते हुए संपादकीय रिपोर्ट पेश की, जिसमें संगठन की मांगें भी रखी गयी. उनका कहना है कि लंबे समय से चली आ रही वेतन विसंगतियों का समाधान शीघ्र किया जाना चाहिए. इसके साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों की पारदर्शी भर्ती, गैर-शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्ति, डब्ल्यूबीएचएस (पी एंड बी) स्वास्थ्य योजना का कार्यान्वयन, स्मार्ट कक्षाओं की शुरुआत और प्रशासनिक हस्तांतरण का उन्मूलन करने की मांग की गयी. जहां हेडमास्टर नहीं हैं, वहां हेडमास्टर की तत्काल नियुक्ति की जानी चाहिए. स्कूल परिसरों का नियमित शैक्षणिक निरीक्षण करने की भी हेडमास्टरों ने मांग की. सभा में हेडमास्टरों ने कहा कि पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के लिए चुनाव गणतांत्रिक व्यवस्था से किया जाना चाहिए. स्कूलों में डेटा एंट्री ऑपरेटर्स, नाइट गार्ड और स्वीपर्स की नियुक्ति करने की मांग की गयी. कार्यक्रम में हावड़ा नगर निगम के अध्यक्ष डॉ. सुजय चक्रवर्ती मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस दो दिवसीय सम्मेलन में राज्य के 22 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और प्रेजेंटेशन पेश किया. सभा की अध्यक्षता एएसएफएचएम के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हरिदास घटक ने की. कार्यक्रम में उपाध्यक्ष बिरात बनर्जी, सुब्रत बूरा, डॉ. मीनू पाल और अंतर-जिला समन्वयक अल्ताफ शेख ने भी अपने विचार रखे.
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