कोलकाता. वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने कोन्ननगर के एक हेल्थ प्वॉइंट क्लिनिक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. मरीज के अभिभावकों को जुर्माने की राशि दिये जाने का निर्देश दिया गया है. कमीशन में गुरुवार को सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया. यह जानकारी कमीशन के चेयरमैन एवं पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने दी. उन्होंने बताया कि सिउली रुद्र ने अपनी बेटी को पेट दर्द होने पर किसी चिकित्सक के सलाह पर हेल्थ प्वॉइंट क्लिनिक में अल्ट्रा सोनोग्राफी (यूएसजी) करायी थी. इसके बाद मरीज को स्थानीय एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया तो चिकित्सक ने रिपोर्ट देख कर बताया कि उसके गॉलब्लैडर (पित्ताशय) में स्टोन नहीं है. साधारण दवा देकर चिकित्सक ने मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी थी. इसके बाद भी दर्द से राहत न मिलने पर बेटी को लेकर हैदराबाद पहुंची और पित्ताशय की सर्जरी करवायी और स्टोन को निकाला गया. इसकी शिकायत कमीशन से की गयी थी. जांच के बाद कमीशन ने एसएसकेएम (पीजी) के रेडियोलॉजिस्ट विभाग के प्रधान से सुझाव ली. रेडियोलॉजिस्ट ने रिपोर्ट देखकर बताया कि लड़की के पित्ताशय में स्टोन थी, पर हेल्थ पाइंट क्लिनिक ने कमीशन को अपने बचाव में बताया कि मोटापा और गैस शैडो (परछाई) के कारण उन्हें स्टोन नहीं दिखा. इसलिए उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्टोन के होने का उल्लेख नहीं किया था. कमीशन ने क्लिनिक के इस दलील को ठुकराते हुए हेल्थ प्वॉइंट पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है