पूजा कमेटियों को सरकारी अनुदान पर रोक से इंकार
कलकत्ता हाइकोर्ट ने दुर्गापूजा कमेटियों को राज्य सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश विभाष पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि कई सूचीबद्ध कमेटियों को पहले ही अनुदान मिल चुका है, इसलिए जनहित याचिका पर अब कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. कमेटियों ने अनुदान का उपयोग करना भी शुरू कर दिया है. ऐसी स्थिति में अब इसे रोकने का आदेश देना संभव नहीं है.
कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने दुर्गापूजा कमेटियों को राज्य सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश विभाष पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि कई सूचीबद्ध कमेटियों को पहले ही अनुदान मिल चुका है, इसलिए जनहित याचिका पर अब कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. कमेटियों ने अनुदान का उपयोग करना भी शुरू कर दिया है. ऐसी स्थिति में अब इसे रोकने का आदेश देना संभव नहीं है.हालांकि न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को सलाह दी कि दुर्गापूजा कमेटियों के लिए सरकारी अनुदान की राशि बढ़ाने के बजाय, वह जरूरतमंदों बच्चों के इलाज के लिए अनुदान बढ़ाती है तो बेहतर होता. पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बंगाल में लाइलाज बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए 1,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है, जबकि उन्हें और अधिक फंड की जरूरत है. सरकार इस पर विचार करे, तो बेहतर होगा.याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि राज्य सरकार पिछले कुछ वर्षों से क्लबों को दुर्गापूजा के लिए अनुदान दे रही है. हर साल अनुदान राशि बढ़ाया जा रहा है. इस साल मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कमेटी को 85 हजार रुपये देने की घोषणा की है और यह भी कहा है कि अगले साल अनुदान राशि बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी जायेगी. वकीलों ने आरोप लगाया कि कई क्लब अनुदान लौटा रहे हैं. लेकिन खर्च का सही तरीके से ऑडिट नहीं किया जाता है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने सरकारी अनुदान पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अनुदान खर्च के संबंध में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रिपोर्ट पेश करेंगे.
इस वर्ष 43 हजार पूजा कमेटियों को दिया जायेगा अनुदान
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा लगभग 43 हजार पूजा कमेटियों को अनुदान दिया जायेगा, जिस पर 365 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दुर्गापूजा कमेटियों को राज्य सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान को लेकर हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी.
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