हिंदी को मिले उचित स्थान : राज्यपाल
आज देश का परिवेश कुछ इस तरह बदल रहा है कि यह, कब कौन सी करवट ले, इस विषय में कुछ भी कहना मुश्किल है. देश के सभी राज्यों व अंचलों के लोगों के सहयोग और सहमति से हिंदी को उचित स्थान मिलना चाहिए.
कोलकाता : आज देश का परिवेश कुछ इस तरह बदल रहा है कि यह, कब कौन सी करवट ले, इस विषय में कुछ भी कहना मुश्किल है. देश के सभी राज्यों व अंचलों के लोगों के सहयोग और सहमति से हिंदी को उचित स्थान मिलना चाहिए.
ये बातें राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को भारतीय भाषा परिषद में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी, पश्चिम बंगाल व केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘राजभाषा सम्मेलन व कवि सम्मेलन’कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि हिंदी, किसी भी भारतीय भाषा के विरोध में नहीं हैै, इससे आंचलिक भाषाओं को डरने की कोई जरूरत नहीं है. भारत की आंचलिक भाषा काफी समृद्ध है. उनको साथ लेकर हिंदी को आगे बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसी पर बिना थोपे या दबाब डाले, सभी के सहयोग से हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप में उभारा जाना चाहिये, जिससे उस अंचल लोगों की भावनाओं को भी ठेस न पहुंचे. इस दौरान राज्यपाल ने डॉ शुभ्रा उपाध्याय को आठवें डॉ पुंडरीक सम्मान से सम्मानित किया. साथ ही हिंदी के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए कोलकाता स्थित पंजाब नेशनल बैंक के मंडल व अंचल कार्यालयों तथा बीबीजे कंस्ट्रक्शन को भी सम्मानित किया. शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि कोई भी सम्मान, मात्र सम्मान नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी भी होती है. उन्होंने कहा कि वह आगे और भी गंभीरतापूर्वक व सार्थक दिशा में काम करेंगी.
केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के रणविजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले 27 वर्षों से राजभाषा सम्मेलन कार्यक्रम हो रहा है. कार्यक्रम का लक्ष्य सरकारी कार्यालयों में हिंदी को बढ़ावा देना है, जिससे हिंदी को उसका उचित स्थान मिले. अधिवक्ता हरेंद्र पांडेय ने कहा कि यह ध्यान देने का विषय है कि राज्यपाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी की शुरुआत और शिक्षा अपने घरों, दफ्तरों व व्यक्तिगत तौर पर होनी चाहिए, तभी यह सर्वमान्य होगी. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन के दौरान कवियों ने अपने भावों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया.