कैंसर के दुष्प्रभावों को कम करता है होम्योपैथी : डॉ ईशा बनर्जी
यह कहना है प्रशांत बनर्जी होम्योपैथिक रिसर्च क्लिनिक (पीबीएचआरसी) की निदेशक डॉ ईशा बनर्जी का.
कोलकाता. कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी, रेडियोथैरेपी व सर्जरी का सहारा लिया जाता है. लेकिन कीमोथेरेपी या रेडियोथैरेपी के दौरान मरीज को कई तरह के दुष्प्रभावोंं का भी सामना करना पड़ता है. इनमें उल्टी, थकान, न्यूरोपैथी (तंत्रिका दर्द), मुंह में छाले, पाचन संबंधी समस्याएं, बालों का झड़ना आदि प्रमुख हैं. इन साइड इफेक्ट्स को कम करने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में होम्योपैथी को काफी कारगर माना गया है. यह कहना है प्रशांत बनर्जी होम्योपैथिक रिसर्च क्लिनिक (पीबीएचआरसी) की निदेशक डॉ ईशा बनर्जी का. बता दें कि डॉ प्रशांत बनर्जी ख्यातिप्राप्त होम्योपैथी विशेषज्ञ थे. उनके द्वारा स्थापित इस संस्थान में कैंसर रोगियों का भी इलाज किया जाता है.
डॉ ईशा ने कहा कि हाल के दिनों में होम्योपैथी के प्रति लोगों की रूचि बढ़ी है. यह एक प्राकृतिक व समग्र चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर और मन को नियंत्रित रखती है. हालांकि, यह एलोपैथी की जगह नहीं ले सकता. पर कैंसर मरीज अगर होम्योपैथी की मदद लेता है, तो अपने शेष बचे जीवन का कष्ट व दर्द के बीना आनंद ले सकता है. कीमोथैरेपी के कारण मरीज को बार-बार उल्टी के साथ पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसके लिए मरीजों को नक्स वोमिका और आर्सेनिकम एल्बम जैसी दवा दी जाती है. सिर, गर्दन व स्तन के कैंसर से पीड़ित मरीजों को रेडिएशन थेरेपी के कारण मुंह में छाले पड़ जाते हैं. होम्योपैथिक दवाओं की मदद से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.मरीज को अवसाद से रखता है दूर
कैंसर किसी भी व्यक्ति को मानिसक रूप से तोड़ कर रख सकता है. यह रोगियों को अवसाद ग्रस्त कर देता है. ऐसे में इग्नेशिया और एकोनिटम नेपेलस जैसी होम्योपैथी दवाएं अवसाद व तनाव को दूर रखती हैं.अनिद्रा व थकान की समस्या का भी है समाधान ः कैंसर से जूझ रहे कई मरीजों को नींद नहीं आती हैं. जिससे उन्हें और भी अधिक थकान और तनाव महसूस हो सकता है. पर होम्योपैथी की कॉफी क्रूडा और काली फॉस्फोरिकुम जैसी दवाओं के जरिए मरीज को इन समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
होम्योपैथी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
कैंसर से लड़ रहे व्यक्ति के लिए मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी महत्वपूर्ण है. होम्योपैथी से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है. डॉ बनर्जी ने बताया कि कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि थुजा ऑक्सीडेंटलिस जैसी होम्योपैथिक दवा सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाकर और मैक्रोफेज जैसे प्रतिरोधक कोशिकाओं को सक्रिय करके प्रतिरक्षा गतिविधि को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं, दो संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है