निचली अदालत में आपराधिक मामला लंबित होने पर कितनों ने की विदेश यात्रा

बुधवार को हाइकोर्ट के न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने राज्य के ऐसे सभी लोगों की सूची मांगी, जो किसी काम से विदेश भी गये थे.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2024 1:30 AM

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से पूछा है कि निचली अदालत में आपराधिक मामला लंबित होने के दौरान पिछले एक साल में कितने आरोपियों ने विदेश यात्रा की है. बुधवार को हाइकोर्ट के न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने राज्य के ऐसे सभी लोगों की सूची मांगी, जो किसी काम से विदेश भी गये थे. न्यायाधीश ने आदेश दिया कि अगले 15 दिनों के भीतर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय हलफनामा के माध्यम से यह जानकारी पेश करे. न्यायाधीश ने पूछा कि लंबित मामलों के बावजूद किसे विदेश यात्रा की अनुमति दी गयी है और किसे विदेश यात्रा की अनुमति नहीं. मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी. अदालत ने पहले एक मामले में निर्देश दिया था कि किसी शख्स को इस आधार पर विदेश यात्रा करने से नहीं रोका जा सकता है कि निचली अदालत में आपराधिक मामला लंबित है. कथित तौर पर हाइकोर्ट के इस आदेश के बावजूद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने विचाराधीन शख्स को विदेश जाने के लिए ””क्लीयरेंस”” नहीं दी. वजह के तौर पर लंबित आपराधिक मामला बताया गया है, जिसकी वजह से शख्स ने विदेश जाने के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनके वकील ने कहा कि हाइकोर्ट ने उनके मुवक्किल की विदेश यात्रा के लिए सकारात्मक कदम उठाया है. लेकिन उसके बाद भी अनुमति नहीं मिल रही है. न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने बुधवार को संबंधित मामले की सुनवाई में कहा कि मंत्रालय ने गंभीर मामलों में शामिल कई लोगों को विदेश जाने की अनुमति दी है. कोर्ट इस बात से हैरान था कि इस एक मामले को अपवाद के तौर पर क्यों देखा गया. न्यायाधीश ने कहा कि अधिकारियों ने कैसे मान लिया कि आरोपी को अदालत में दंडित किया जायेगा, इसलिए उसे विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जायेगी. यह मामला कोलकाता की एक युवती ने दायर किया था. युवती की शिकायत के मुताबिक, उसने अपने बॉयफ्रेंड से मिलने अमेरिका जाने के लिए वीजा के लिए आवेदन किया था. लेकिन अमेरिकी दूतावास के नियमों के अनुसार, वीजा प्राप्त करने के लिए पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) की आवश्यकता होती है, जो भारतीय पासपोर्ट कार्यालय से जारी किया जाता है. इसके लिए युवती ने पासपोर्ट कार्यालय से संपर्क किया, लेकिन क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने बताया कि उन्हें परमिट नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है. युवती ने सियालदह अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से अनुमति नहीं मिली. फिर युवती ने हाइकोर्ट का रुख किया और हाइकोर्ट ने विदेश यात्रा की अनुमति दे दी थी. इसके बाद हाइकोर्ट के आदेश पर सियालदह कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने निर्देश में कहा कि युवती के विदेश जाने में कोई बाधा नहीं है. लेकिन युवती की शिकायत है कि इसके बाद भी पुलिस या पासपोर्ट कार्यालय से संपर्क करने का कोई फायदा नहीं हुआ. न्यायाधीश का निर्देश मिलने के बाद भी उन्होंने कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की. अब हाइकोर्ट ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.

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