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अनियोजित गर्भधारण रोकेगा ‘इम्प्लांट’, चार अस्पतालों में ट्रायल शुरू

ताबीज नहीं, लेकिन ताबीज की तरह बांह पर रखा जाये तो महिलाएं गर्भवती नहीं होंगी. अगर दंपती को बच्चा चाहिए तो इसे हटाना होगा.

शिव कुमार राउत , कोलकाताताबीज नहीं, लेकिन ताबीज की तरह बांह पर रखा जाये तो महिलाएं गर्भवती नहीं होंगी. अगर दंपती को बच्चा चाहिए तो इसे हटाना होगा. इसके बाद वह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं. यह कोई जादुई ताबीज या जादुई छड़ी नहीं है. न ही कोई अंध विश्वास है. यहां बात कॉन्ट्रासेप्टिव ‘इम्प्लांट’ की हो रही है. यह राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत पश्चिम बंगाल समेत देश के 10 राज्यों में चरणबद्ध तरीके ने लॉन्च किया गया है.

अनियोजित गर्भधारण को रोकने के लिए बाजार में उपलब्ध गर्भनिरोधक दवाओं को पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जाता. इस तरह की दवाओं का साइड इफेक्ट भी होता है. इन दवाओं के अतिरिक्त सेवन से महिलाएं बांझपन समेत कई अन्य बीमारियों की शिकार हो सकती हैं. ‘इम्प्लांट’ अब पश्चिम बंगाल में भी उपलब्ध है. पर, फिलहाल कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ही इसका ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. इसे तीन साल तक बांह में त्वचा के नीचे रखा जा सकता है. इस उपकरण का नाम ‘इम्प्लांट’ रखा गया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राज्य को 9 लाख ‘इम्प्लांट’ दिये हैं.

साइड इफेक्ट नहीं, विफलता की संभावना बेहद कम है:

राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नोडल ऑफिसर डाॅ असीम दास मालाकार ने बताया कि भारत में कई गर्भनिरोधक तरीके हैं, पर यह सबसे आसान तरीका है. इस तकनीक को पेश करने का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को कम उम्र में मां बनने से रोकना. वहीं पहले व दूसरे बच्चे के बीच उम्र का अंतर कम से कम दो-तीन साल का होना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस उपकरण के इम्प्लांट का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इसके विफल रहने की संभावना भी काफी कम है. इम्प्लांट के इस्तेमाल से बच्चे को स्तनपान कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी. अधिकारी ने बताया के इस उपकरण को त्वचा के नीचे लगाते ही यह सक्रिय हो जायेगा. इसे इस्तेमाल करने से गर्भाशय से अंडों का निकलना बंद हो जायेगा और गर्भाशय द्वार फिसलन भरा नहीं होगा, जिससे शुक्राणु प्रवेश नहीं कर पायेंगे. वहीं, इम्प्लांट को हटा दिये जाने के बाद शरीर अपनी पिछली स्थिति में वापस आ जायेगा. मशीन के निकालने के एक माह के अंदर महिला गर्भवती हो सकती है. डॉ मालाकार ने बताया कि आम तौर पर 15 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं इंप्लांट का उपयोग कर सकती हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह भी बताया गया है कि, उक्त सरकारी अस्पतालों से केवल दंपती को ही मुफ्त इम्प्लांट उपकरण दिया गया. ताकि, गलत मकसद से लोग इस उपकरण का इस्तेमाल न कर सकें.

गर्भनिरोधक के इन तरीकों पर एक नजर :

देश में गर्भ निरोधक कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं. कॉपर टी से लेकर ””अंतरा”” इंजेक्शन तक. इसी साल जनवरी में स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक सर्वे में शादीशुदा महिलाओं के बीच ””अंतरा”” इंजेक्शन काफी लोकप्रिय पाया गया है. लेकिन समस्या यह है कि यह इंजेक्शन बच्चे के जन्म के 42 दिन या 6 सप्ताह बाद तक नहीं लिया जा सकता है. अंतरा इंजेक्शन एक बार लगाने से तीन माह तक ही गर्भ निरोधक का काम करेगा. पर इम्प्लांट में ऐसी कोई निषेध नहीं है. अब भविष्य ही बतायेगा कि इम्प्लांट कितना प्रभावी व लोकप्रिय होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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