चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने खुद ही काटा पेड़, साफ की सड़कें
भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने सोमवार अहले सुबह चक्रवात प्रभावित सॉल्टलेक क्षेत्र में सड़कों पर गिरे पेड़ों को काटकर हटाते नजर आये हैं.
कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने सोमवार अहले सुबह चक्रवात प्रभावित सॉल्टलेक क्षेत्र में सड़कों पर गिरे पेड़ों को काटकर हटाते नजर आये हैं. इस इलाके में उनका घर है. श्री घोष पश्चिम बंगाल सरकार पर लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि चक्रवात से निपटने की तैयारियां पुख्ता नहीं की गयी थी. उसके बाद सोमवार की सुबह हाफ पैंट और गंजी में ही वह अपने घर से बाहर निकले और पार्टी के कई अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को लेकर सड़कों पर गिरे पेड़ों को काटकर हटाने लगे.
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20 मई को चक्रवात आया था. उसके बाद 5 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोलकाता, साल्टलेक, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के विस्तृत इलाके में अभी भी बिजली आपूर्ति अथवा इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं हो सकी हैं, क्योंकि पेड़, खंभे, तार आदि टूट जाने की वजह से सेवाएं सामान्य नहीं हो पा रही हैं. इसके बाद सोमवार सुबह दिलीप घोष घर से निकले थे. उनके पास लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी आदि भी थी. अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी उनके साथ मिलकर लकड़ियां काटी. यहां तक कि श्री घोष के सुरक्षाकर्मियों ने भी कटे हुए पेड़ों के हिस्से को हटाने में मदद की.
इस बारे में जब पूछा गया तो श्री घोष ने कहा कि पिछले तीन दिनों से हमारे इलाके में पेड़ गिरे हुए हैं. राज्य सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं, इसलिए मैं खुद ही सड़कों पर उतर गया हूं. पेड़ों को हटाने के लिए मेरे साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे. साल्टलेक एक ऐसा क्षेत्र है जहां वरिष्ठ लोग ज्यादा रहते हैं. उनके लिए ऐसे कार्य करना संभव नहीं है. इसलिए इधर पेड़ आदि गिर जाने की वजह से बिजली आपूर्ति लगातार बाधित है.
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में नगर निगम के लोग नजर नहीं आते. जलापूर्ति बाधित है, लेकिन कोई ठीक करने के लिए नहीं आ रहा है. विद्युत आपूर्ति नहीं हो रही. उन्होंने यह भी कहा कि वह पेड़ आदि काटकर पश्चिम बंगाल सरकार की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में रहने की वजह से साफ-सफाई और लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखना उनकी अपनी जिम्मेवारी है. केवल सरकार पर भरोसा कर आमलोग बैठे नहीं रह सकते. उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार के लिए हर एक समस्या का समाधान कर देना संभव नहीं है. लोगों लोगों को भी हाथ बटाना चाहिए. इससे समस्याओं का समाधान जल्द आसानी से होगा.
प्रशासक के रूप में भी मुख्यमंत्री विफल, राज्य में नहीं है कोई सरकार
प्रदेश भाजपा ने कोरोना के बाद अम्फन चक्रवाती तूफान के बाद राहत व बचाव कार्य करने में मुख्यमंत्री पर असफल रहने का आरोप लगाया. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने सोमवार की शाम को साल्टलेक स्थित अपने आवास पर संवाददताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री प्रशासक के रूप में भी असफल रही हैं. इसके पहले कोरोना को संभालने में असफल रही थी और अब चक्रवाती तूफान के बाद की स्थिति को संभालने में विफल रही हैं. वह केवल राजनीति करती हैं और विफल प्रशासक साबित हुई हैं.
उन्होंने कहा कि जब स्थिति संभालने की बारी है, तो कोई अधिकारी नहीं है. अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की जा रही है. वास्तव में राज्य में कोई सरकार ही नहीं है. यहां केवल मुख्यमंत्री का एकतांत्रिक शासन है. श्री घोष ने कहा कि पांच दिन बीत गये हैं, लेकिन अभी भी कोलकाता में कई इलाकों में पानी नहीं है. बिजली और पानी के अभाव के कारण लोग परेशान हैं. सड़क पर उतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और इसका ठीकरा सीइएससी के सिर पर फोड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से राशन घोटाला होने पर खाद्य सचिव को हटाया गया. कोरोना संभालने में विफल होने पर स्वास्थ्य सचिव को हटाया गया और अब सीइएससी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नबान्न में ही बैठ कर अम्फान से नुकसान का आकंड़ा एक लाख करोड़ रुपये बता देती हैं, जबकि इसका कोई हिसाब नहीं है.
उन्होंने कहा कि 2009 में आइला तूफान आने पर केंद्र सरकार द्वारा 1,339 करोड़ रुपये दिये गये थे. इसमें 2011 में आयी ममता बनर्जी की सरकार ने मात्र 525 करोड़ रुपये का हिसाब दिया था, जबकि 814 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं दिया था. इस बार केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ रुपये दिया है. भाजपा खुद हिसाब रखेगी कि कहां-कहां और किस मद में कितने रुपये खर्च हुए हैं. भाजपा इसका सर्वेक्षण करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के सांसद व नेता चक्रवात प्रभावित इलाकों में जाना चाहते हैं, लेकिन पुलिस रोक दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार जितना पुलिस उनके पीछे लगा रही है, यदि राहत कार्य में लगाती, तो स्थिति ही कुछ और होती.