स्कूलों को छात्रों, शिक्षकों व स्टाफ की संख्या का ब्योरा शिक्षा विभाग में जमा कराने का निर्देश
पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की संख्या मांगी गयी है.
कोलकाता. राज्य के कई सरकारी स्कूलों में हाल के दिनों में छात्रों की संख्या तुलनात्मक रूप से घटी है. कई मामलों में स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम होती है, लेकिन शिक्षकों की संख्या आनुपातिक रूप से अधिक होती है. वहीं किसी स्कूल में छात्रों की संख्या अधिक है, शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की संख्या कुछ कम है. ऐसे में शिक्षा विभाग हर स्कूल की स्थिति जानना चाहता है. स्कूलों को एक खास फॉर्म भी भेजा जा रहा है. पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की संख्या मांगी गयी है. शिक्षा विभाग ने 11वीं और 12वीं कक्षा में विषयवार (कला और विज्ञान) छात्रों की संख्या भी मांगी है. साथ ही विकास भवन यह भी जानना चाहता है कि किसी स्कूल में कितने शिक्षकों और शिक्षामित्रों के पद स्वीकृत हैं, उस स्कूल में वर्तमान में कितने लोग हैं, कितनी रिक्तियां हैं. स्कूलों से यह भी बताने को कहा गया है कि कितने पद रिक्त हैं और कब से रिक्त हैं, उसका विवरण विभाग में जमा करवाने का निर्देश दिया गया है. प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाध्यापक इस संबंध में एक रिपोर्ट जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपेंगे, बाद में रिपोर्ट विकास भवन में जमा की जायेगी. प्रदेश के किसी स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात क्या है, इसकी आंतरिक गणना विकास भवन के पास पहले से है. विकास भवन के अनुसार, लगभग 250 स्कूलों में छात्रों की नामांकन दर लगभग शून्य है, लेकिन इनमें पांच-छह शिक्षक हैं. राज्य के विभिन्न स्कूलों में छात्रों की संख्या के हिसाब से करीब 1200 से ज्यादा शिक्षक हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिन स्कूलों में आनुपातिक दर पर अतिरिक्त शिक्षक और शिक्षण कर्मचारी हैं, उनकी आवश्यकता के अनुसार स्थानांतरण पर विचार किया जा रहा है. शिक्षा विभाग इनके तबादले पर विचार कर रहा है, खासकर उन स्कूलों में जहां छात्र-शिक्षक अनुपात कम है. विकास भवन के सूत्रों के अनुसार, आम तौर पर अगर किसी स्कूल में प्रत्येक 40 छात्रों पर एक शिक्षक है, तो इसे आदर्श छात्र-शिक्षक अनुपात माना जाता है. हालांकि विषयवार शिक्षक भर्ती में 110-120 छात्रों पर एक शिक्षक को आदर्श अनुपात माना जाता है. ऐसे में विभाग ने स्कूलवार स्थिति की रिपोर्ट लेने की पहल की है. यहां गौरतलब है कि जब विकास भवन यह कदम उठा रहा है, तब रोजगार से संबंधित लगभग 26,000 मामले एसएससी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. क्या पूरा पैनल रद्द कर दिया जायेगा, या पैनल का कुछ हिस्सा रद्द कर दिया जायेगा, यह सवाल बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार को है.
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