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अस्पष्ट आरोपों की जांच जारी नहीं रखी जा सकती

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप ही अस्पष्ट हैं, तो ऐसे मामलों की जांच जारी रखने की जरूरत नहीं है.

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हरीश टंडन व न्यायाधीश प्रसेनजीत विश्वास ने एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि अस्पष्ट आरोपों की जांच जारी नहीं रखी जा सकती है. खंडपीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच करने का उद्देश्य मामले के तथ्यों की सच्चाई स्थापित करना है, न कि केवल उसके खिलाफ आरोप या दंड निर्धारित करना है. अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप ही अस्पष्ट हैं, तो ऐसे मामलों की जांच जारी रखने की जरूरत नहीं है. पूर्व मेदिनीपुर के रहने वाले एक शिक्षक ने सेवानिवृत लाभ पाने के लिए हाइकोर्ट का रूख किया था, क्योंकि पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीएसई) ने शिक्षक को सेवानिवृत लाभ देने से इंकार कर दिया था. पर्षद का कहना था कि उक्त शिक्षक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और आरोपों की जांच की जा रही है. हालांकि, शिक्षक का कहना है कि उसके खिलाफ दर्ज किये गये मामलों में आरोप ही स्पष्ट नहीं है. इसलिए पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीएसई) द्वारा सेवानिवृत लाभ बंद रखने का आदेश ‘गैरकानूनी’ है.

हाइकोर्ट ने पूर्व मिदनापुर जिले के अतिरिक्त स्कूल निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को भी खारिज कर दिय और संबंधित अधिकारियों को एक महीने के भीतर आवेदक को सेवानिवृत लाभ और पेंशन पर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ राशि का भुगतान करने का आदेश दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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