धार्मिक परंपरा का प्रतीक है जगद्धात्री पूजा
हुगली जिले के चंदननगर की जगद्धात्री पूजा अपनी खास पहचान के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है.
हुगली जिले के चंदननगर की जगद्धात्री पूजा अपनी खास पहचान के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इस पूजा की खासियतों के बारे में न केवल स्थानीय लोग, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु भी जानते हैं. अद्भुत लाइटिंग इस आयोजन को और भी आकर्षक और अनोखा बनाती है. इस वर्ष चंदननगर में 6 नवंबर से 11 नवंबर तक यह भव्य आयोजन संपन्न होने जा रहा है. इसके साथ ही रिसड़ा में भी इस बार 10 नवंबर से 14 नवंबर तक देवी जगद्धात्री का मनोहारी रूप श्रद्धालुओं को दर्शन देगा. चंदननगर और रिसड़ा के बाद अब पांडुआ और सिंगुर में भी जगद्धात्री पूजा का विस्तार तेजी से हो रहा है. पेश है मुरली चौधरी की रिपोर्ट…
आदिकाल से होती आ रही पूजा
हुगली. भारत में देवी जगद्धात्री की पूजा आदिकाल से होती आ रही है. इस देवी का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जो उनके दिव्य स्वरूप और शक्ति का प्रमाण है. कार्तिक पुराण में जगद्धात्री देवी का वर्णन मिलता है. देवी पुराण, मार्कंडेय पुराण और माया तंत्र में भी देवी की पूजा विधियों का उल्लेख है. चंडी उपाख्यान में देवी जगद्धात्री द्वारा करिंदा असुर और गजा असुर का वध करने का उल्लेख है, जो उनकी महाशक्ति रूप को दर्शाता है. देवी जगद्धात्री की प्रतिमा का स्वरूप अत्यंत अद्भुत और विशिष्ट है. वह सिंह पर सवार होती हैं, जो उनके नीचे हाथी पर दहाड़ता हुआ होता है. सिंह के नीचे फैला हुआ हाथी होता है, जो धरती पर चारों पैर फैला कर विराजमान रहता है. देवी चार भुजाओं और त्रिनेत्र के साथ अपने कमलासन पर विराजमान होती हैं. उनके दाहिने हाथों में चक्र और तीर होते हैं, जबकि बाएं हाथों में शंख और धनुष. मां के गले के पास एक फुफकारता हुआ नाग शोभायमान रहता है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है. देवी के अलंकरण में सोने-चांदी के आभूषणों के साथ विशेष कलात्मक शोले की सजावट होती है, जो उनकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं. देवी आमतौर पर लाल वस्त्र धारण करती हैं, जो शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस प्रकार देवी जगद्धात्री की पूजा भारतीय संस्कृति और पौराणिक परंपराओं में विशेष स्थान रखती है, जो सदियों से श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है.रिसड़ा की जगद्धात्री पूजा का भव्य आयोजन 10 से 14 तक
हुगली जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रिसड़ा, जगद्धात्री पूजा के लिए अब प्रसिद्ध हो रहा है. यहां की केंद्रीय जगद्धात्री पूजा कमेटी के तत्वावधान में लगभग 117 जगद्धात्री पूजाओं का आयोजन होता है. हालांकि, यहां की आयोजन शैली और परंपरा में चंदननगर से भिन्न है. चंदननगर से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होने के बावजूद, रिसड़ा में जगद्धात्री पूजा का प्रारंभ और आयोजन चंदननगर की परंपरा से अलग तरीके से होता है.चंदननगर में पंचमी से दशमी तक पूजा होती है, जबकि रिसड़ा में कार्तिक माह की नवमी से पूजा का आरंभ होता है. इस वर्ष, जगद्धात्री पूजा का आयोजन 10 से 14 नवंबर तक चलेगा. इस आयोजन की जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चंदननगर के पुलिस कमिश्नर अमित पी. जावालगी ने साझा की थी. रिसड़ा में जगद्धात्री पूजा को शांति और सौहार्द से संपन्न करने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. इसके लिए केंद्रीय जगद्धात्री पूजा कमेटी के अध्यक्ष और रिसड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष विजय सागर मिश्रा और कमेटी के सचिव अभिजीत दास ने विभिन्न पहलुओं पर काम किया है. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं ताकि सभी श्रद्धालु सुरक्षित और सहज रूप से पूजा में शामिल हो सकें. रिसड़ा और चंदननगर की जगद्धात्री पूजा में एक और खास अंतर यह है कि यहां की देवी प्रतिमाएं थीम आधारित होती हैं, जो चंदननगर की परंपरागत प्रतिमाओं से अलग होती हैं. चंदननगर की तुलना में यहां की मूर्तियों और लाइटिंग स्ट्रक्चर की ऊंचाई 12 फीट से नीचे रखी जाती है. शोभायात्रा भी अपने आपमें खास है, जहां चंदननगर में चौड़ी सड़कों पर लारी के माध्यम से शोभायात्रा निकाली जाती है, वहीं रिसड़ा की तंग गलियों में शोभायात्रा रिक्शा, वैन और मेटाडोर पर निकाली जाती है. इस वर्ष, पंडाल और सजावट में चंदननगर की तरह ही भव्यता दिखायी देगी. कुल 117 पूजा कमेटियों में से 92 को अनुमोदन प्राप्त है और 26 पूजा कमेटियां कार्निवल में शामिल होंगी.
चंदननगर : जगद्धात्री पूजा की शोभायात्रा नया कीर्तिमान स्थापित करने की ओर
जिले के फ्रांसीसी औपनिवेशिक शहर चंदननगर में देवी दुर्गा की पूजा के एक महीने बाद देवी जगद्धात्री की भव्य पूजा का आयोजन होने जा रहा है. चार भुजाओं वाली यह देवी सिंह पर सवार रहती हैं. मान्यता है कि देवी जगद्धात्री ने कारिंदासुर का संहार कर जगत में शांति स्थापित की थी. दुर्गापूजा की तरह ही कार्तिक शुक्ल सप्तमी से दशमी तक यह पूजा विधिपूर्वक आयोजित होती है. विजयादशमी की रात को जगद्धात्री पूजा की शोभायात्रा सड़कों पर निकाली जाती है, जो पहले ही विश्व भर में प्रख्यात है और इस वर्ष नया कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में है. हुगली की जिलाधिकारी मुक्ता आर्या, चंदननगर के एसडीओ विष्णु दास, चंदननगर नगर निगम के मेयर राम चक्रवर्ती, भद्रेश्वर नगरपालिका के चेयरमैन प्रलय चक्रवर्ती, चांपदानी नगरपालिका के चेयरमैन सुरेश मिश्रा और चंदननगर के पुलिस कमिश्नर अमित पी जवालगी ने इस भव्य आयोजन के सफल और सौहार्द्रपूर्ण संचालन के लिए व्यापक तैयारियां की हैं. केंद्रीय जगद्धात्री पूजा महासमिति के महासचिव शुभजीत साव भी तैयारियों में जुटे हुए हैं. शुभजीत साव के अनुसार, इस वर्ष 11 नवंबर को चंदननगर की रोशनी से जगमगाती सड़कों पर आयोजित इस शोभायात्रा में 2023 की तुलना में 10 और पूजा समितियां शामिल होंगी. भव्यता बढ़ाने के लिए 15 अतिरिक्त सजे हुए ट्रक जोड़े जा रहे हैं. इस बार शोभायात्रा में 69 पूजा समितियों के साथ 245 सजे हुए ट्रक शामिल होंगे, जिससे इस साल एक नया रिकॉर्ड बनेगा. पिछले वर्ष 59 पूजा समितियों ने 230 सजे हुए ट्रकों के साथ भाग लिया था. पहली बार सर्फिंग लेजर लाइट का होगा इस्तेमालचंदननगर बागबाजार चौमाथा जगद्धात्री पूजा कमेटी पहली बार चंदननगर में चाइनीज सर्फिंग लेजर लाइट का जलवा पूजा मंडप और उसके आसपास दिखायेगी. विसर्जन यात्रा में भी यूनिक लाइट का खेल दिखाया जायेगा, जो पालतू पशु पर होगा. यह जानकारी कमेटी की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भास्कर दे सरकार ने दी. मंडप सज्जा भी एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी थीम पर आधारित होगी. हमारा समाज व जीवन एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोलॉजी से कैसे प्रभावित है, इसे दिखाया जायेगा. बिजली की सजावट के लिए चंदननगर विश्व विख्यात है, इसलिए इसका खास ध्यान रखा जा रहा है. इस ऐतिहासिक शोभायात्रा के लिए स्थानीय प्रशासन और आयोजन समिति मिलकर भव्यता, सुरक्षा और सौहार्द्र के हर पहलू पर विशेष ध्यान दे रही हैं.
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