कोलकाता. जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार ने जो वादा किया है, उसे अबतक पूरा नहीं किया गया है. इसे लेकर जूनियर डॉक्टर असंतुष्ट हैं. इन चिकित्सकों के संगठन जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट की ओर से गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को पत्र लिखा गया. जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों पर फिर से चर्चा करने का आग्रह किया है. गौरतलब है कि 19 सितंबर को मुख्य सचिव की ओर से जूनियर डॉक्टरों को भेजे गये पत्र में सात सूत्रीय मांगें मान ली गयी थीं. पर अब तक अमल नहीं किया गया है. जूनियर डॉक्टरों ने ईमेल में कहा कि सात सूत्री मांगों को पूरा करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. जूनियर डॉक्टरों के पत्र में मुख्य रूप से थ्रेट कल्चर यानी मेडिकल कॉलेजों में भय के माहौल और सुरक्षा संबंधी विषयों का उल्लेख किया गया है. भय के माहौल से उबारने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए एक जांच कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है. जो थ्रेट कल्चर के मुद्दे पर गौर करेगा. साथ ही हर मेडिकल कॉलेज में जांच कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है. जूनियर डॉक्टरों ने अपने पत्र के जरिये तत्काल कॉलेज काउंसिल की बैठक बुलाने की भी मांग की है. ताकि, बैठक के निर्णय के अनुसार लोकतांत्रिक तरीके से छात्र संगठनों का चुनाव हो. उन्होंने यह भी मांग की कि सात दिन के अंदर एक जांच कमेटी बनायी जाये. समिति इस बात पर गौर करेगी कि पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल और पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के सदस्यों में से किन लोगों पर थ्रेट कल्चर का आरोप है. वहीं, वर्तमान में राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में रोगी कल्याण समिति नहीं है. स्वास्थ्य भवन के पास जूनियर डॉक्टरों से बात करने पहुंचीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि सभी रोगी कल्याण संघों को भंग कर दिया गया है. ऐसे में जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि सीएम के निर्देशानुसार नये रूप में इन कमेटियों का गठन तुरंत किया जाना चाहिए. इस दिन के पत्र में भी जूनियर डॉक्टरों ने तबादले का मुद्दा उठाया है. उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि चिकित्सकों के तबादले में पारदर्शिता लायी जाये. जूनियर डॉक्टरों की शिकायत है कि 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद भी राज्य सरकार ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया. जूनियर डॉक्टरों ने पत्र में इन मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. गौरतलब है कि आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद जूनियर हड़ताल पर चले गये. 43 दिनों के ‘काम रोको’ आंदोलन को खत्म कर वे आंशिक रूप से काम पर लौटे हैं.
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