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Kolkata Doctor Murder : सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, किसी को भी पीड़िता का नाम, फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं

Kolkata Doctor Murder : अदालत ने पूर्व के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सभी सोशल मीडिया मंचों पर लागू होता है.

Kolkata Doctor Murder : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पूर्व के अपने आदेश को दोहराया कि आर जी कर अस्पताल दुष्कर्म व हत्या मामले में किसी भी मध्यस्थ मंच (सोशल मीडिया मंच) को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है.सुनवाई शुरू होते ही वकील वृंदा ग्रोवर ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि मृत प्रशिक्षु चिकित्सक के माता-पिता सोशल मीडिया में बार-बार उसके नाम और तस्वीरों का खुलासा करने वाली क्लिप से परेशान हैं.

सीबीआई की जांच में मिले हैं ठोस सुराग

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित कर चुकी है और आदेश को लागू करना कानून लागू करने वाली एजेंसियों का काम है. अदालत ने पूर्व के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सभी सोशल मीडिया मंचों पर लागू होता है. पीठ ने कहा कि सीबीआई की जांच में ठोस सुराग मिले हैं और उसने कथित दुष्कर्म और हत्या तथा वित्तीय अनियमितताओं दोनों पहलुओं पर बयान दिए हैं.मामले में फिलहाल सुनवाई जारी है. शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को कहा था कि वह दुष्कर्म व हत्या मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है, लेकिन विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी खुलासे से जांच खतरे में पड़ सकती है.

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क्या है मामला

9 सितंबर को शीर्ष अदालत ने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या के मामले में उसके समक्ष पेश रिकॉर्ड से ‘‘चालान’’ की गैरमौजूदगी पर चिंता व्यक्त की थी और पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. यह ‘चालान’ प्रशिक्षु चिकित्सक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था. शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए इसे ‘‘बेहद परेशान’’ करने वाला कहा था, और आगे के घटनाक्रम तथा प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे.

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शीर्ष अदालत ने घटना को बताया था ‘भयावह’

शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने को लेकर 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया था. शीर्ष अदालत ने इस घटना को ‘भयावह’ करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और अस्पताल में हजारों लोगों द्वारा तोड़फोड़ के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.

महिला डॉक्टर का शव मिला था 9 अगस्त को

सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. गंभीर चोट के निशान के साथ महिला डॉक्टर का शव नौ अगस्त को मिला था. अगले दिन मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था.कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की.

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