Kolkata Doctor Murder : पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद भी नतीजा शून्य है. जांच में कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है. सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की जांच में सीबीआई नार्को टेस्ट पर भरोसा करना चाहती है जिसमें कोई नई जानकारी सामने आ जाये. लेकिन कोर्ट ने गिरफ्तार सिविक वॉलंटियर संजय राय के नार्को टेस्ट की अनुमति देने से इंकार कर दिया. मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी ने शुक्रवार को सियालदह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) की अदालत में आरोपी का नार्को टेस्ट कराने का आवेदन किया, लेकिन अदालत ने इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया. फिलहाल संजय राय न्यायिक हिरासत की अवधि प्रेसिडेंसी संशोधनागार में काट रहा है.
सीबीआई क्यों करना चाहती थी नार्को टेस्ट
सीबीआई इस टेस्ट के जरिए यह देखना चाहती हैं कि क्या नार्को और पॉलीग्राफ में आरोपी ने जो कहा उसमें कोई मेल है या नहीं. एजेंसी की योजना संदीप का भी नार्को कराने की है. जांच अधिकारी इस घटना में संजय की संलिप्तता के बारे में आश्वस्त होना चाहते हैं. इसके साथ ही एम्स और विशेषज्ञों की राय आने के बाद उसका विश्लेषण किया जायेगा. बताया जा रहा है कि गुरुवार को जेल में हुई लंबी पूछताछ में संजय से संदीप के रिश्ते और घटना में शामिल लोगों को लेकर कई संकेत मिले हैं.
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कोर्ट के बाहर संजय के खिलाफ फिर लगे नारे
आरोपी संजय राय की सियालदह एसीजेएम कोर्ट में पेशी के दौरान अदालत के बाहर सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था की गयी थी. एक बार फिर अदालत परिसर में आरोपी के पहुंचते ही वहां एकत्रित लोग उसके खिलाफ नारेबाजी करने लगे. जोरदार प्रदर्शन किया और आरोपी को फांसी देने की मांग की.
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क्या है मामला
गौरतलब है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग के चौथे तल पर स्थित सेमिनार हॉल से गत नौ अगस्त की सुबह एक जूनियर महिला चिकित्सक का शव मिला था. घटना का देशभर में विरोध जताया जा रहा है. कोलकाता पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने इस घटना के सिलसिले में अगले दिन ही यानी 10 अगस्त को पुलिस के ही एक सिविक वॉलंटियर संजय राय को गिरफ्तार किया. कलकत्ता हाइकोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी और इसके अगले दिन केंद्रीय एजेंसी ने जांच कोलकाता पुलिस से अपने हाथ में ले ली.
क्या होता है नार्को टेस्ट
नार्को परीक्षण या नार्को एनालिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति को कुछ दवाएं दी जाती हैं, जो व्यक्ति को आंशिक रूप से अचेत अवस्था में ले जाती हैं. इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से उन लोगों से छिपी हुई जानकारी निकलवाने के लिए किया जाता है जो नियमित पूछताछ के दौरान सहयोग करने के इच्छुक नहीं होते. जानकारों का मानना है कि जटिल मामलों को सुलझाने और महत्वपूर्ण सुरागों को उजागर करने के लिए नार्कोएनालिसिस टेस्ट किया जाता है.