Kolkata Murder Case : सीबीआई ने संदीप घोष का नार्को टेस्ट और अभिजीत का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का किया आवेदन

Kolkata Murder Case : आरजी कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म व हत्या के मामले में गिरफ्तार टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष अब 25 सितंबर तक के सीबीआई हिरासत में रहेंगे.

By Shinki Singh | September 20, 2024 5:56 PM


Kolkata Murder Case : पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म व हत्या के मामले में गिरफ्तार टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष अब 25 सितंबर तक के सीबीआई हिरासत में रहेंगे. आज उन्हें सियालदह कोर्ट में पेश किया गया था, जहां सीबीआइ ने दोनों को पांच दिनों की फिर केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने का आवेदन किया था. इतना ही नहीं, सीबीआई की ओर से अदालत में घोष का नार्को टेस्ट व मंडल का पॉलीग्राफ टेस्ट कराये जाने का आवेदन भी किया गया है.

नार्को टेस्ट के आवेदन अदालत ने नहीं सुनाया कोई फैसला

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि जांच में कई अहम तथ्य मिले हैं, जिसके आधार पर आरोपियों से आगे भी पूछताछ जरूरी है. इधर, आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्किलों की जमानत का आवेदन किया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने संदीप का नार्को टेस्ट और अभिजीत का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के आवेदन पर कोई फैसला नहीं सुनाया है. मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी, तब तक दोनों आरोपी सीबीआई हिरासत में भेजे गये हैं.

Also Read : Kolkata Doctor Murder: ममता बनर्जी के आवास पर चली लंबी बैठक, जूनियर डॉक्टरों ने रखी पांच सूत्री मांग

आरोपियों के खिलाफ कोर्ट परिसर में फिर लगे नारे

दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच सियालदह कोर्ट लाया गया. एक बार फिर अदालत परिसर में वकीलों के एक वर्ग व लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की. उनके समक्ष ‘चोर-चोर’ के नारे लगाये गये. इतना ही नहीं, जूते-चप्पल भी दिखाये गये. इसके पहले भी गत मंगलवार और रविवार को अदालत में दोनों आरोपियों के खिलाफ लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया था.

Also Read : सीएम ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा का धरना-प्रदर्शन जारी

क्या है नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट में इंसान के शरीर में सोडियम पेंटोथल नामक ड्रग एक सीमित मात्रा में विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में डाला जाता है. इसे ट्रूथ सीरम भी कहते हैं. यह दवा शरीर में जाते ही इंसान को अर्द्ध-चेतना यानी आधी बेहोशी में ले आता है. वह सही-गलत का फैसला नहीं कर पाता. वह सिर्फ वही बात बोलता है, जो उसे सच लगती है. या उसकी याददाश्त में सच के रूप में बैठा है. इस ड्रग का इस्तेमाल कई बार सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के तौर मरीज को बेहोश करने के लिए किया जाता है, ताकि उसे दर्द न हो. जानकारों का यह भी कहना है कि नार्को टेस्ट जरूरी नहीं है कि 100 फीसदी सही हो.

Also Read : Mamata Banerjee : नबान्न बैठक में ममता बनर्जी ने मंत्रियों को दिया निर्देश, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर कोई टिप्पणी नहीं

Next Article

Exit mobile version