मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोलकाता वासी खुलेपन के साथ मांग रहे मदद
यहां 52% पुरुष और 48% महिला कॉलर्स के साथ इस महानगर में जेंडर का काफी अनोखा विभाजन देखने को मिला है.
एमपावर के एक विश्लेषण से सामने आया तथ्य कोलकाता. आदित्य बिरला एजुकेशन ट्रस्ट की एक इकाई और एक प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, एमपावर ने अपनी नौवीं वर्षगांठ पर एक विश्लेषण पेश किया. यह विश्लेषण एमपावर के टोल-फ्री हेल्पलाइन 1-ऑन-1 लेट्स टॉक (1800-120-820050) पर देशभर से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आये 1,00,000 से भी अधिक कॉल के आधार पर किया गया है. देशभर से आये कॉल में पांचवें स्थान पर कोलकाता रहा, जो एक बड़े योगदानकर्ता के रूप में उभरकर सामने आया है. यहां 52% पुरुष और 48% महिला कॉलर्स के साथ इस महानगर में जेंडर का काफी अनोखा विभाजन देखने को मिला है. इसमें सामने आये एक रुझान के मुताबिक, कोलकाता के पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता मांगने को लेकर खुलापन बढ़ता जा रहा है. आंकड़े, प्रमुख चिंता और सहायता मांगने के क्षेत्रवार रुझान बताते हैं कि आपसी रिश्तों में खटास एक प्रमुख समस्या बनकर सामने आयी है. 45% कॉल्स इसी तरह के आये. यह इसी तरह के राष्ट्रीय औसत आंकड़े 33 % से भी ज्यादा है. ये परिणाम कोलकाता वासियोंं के मानसिक स्वास्थ्य पर आपसी रिश्तोंं की चुनौतियों के अत्यधिक प्रभाव को बयान करते हैं. लगता है जैसे महानगर की अनोखी सामाजिक और सांस्कृतिक बनावट का काफी ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है. राष्ट्रीय रुझानों की तुलना में कोलकाता मानसिक स्वास्थ्य की एक अलग रूपरेखा पेश करता है. 18-25 आयु वर्ग वाले 49 फीसदी कॉलर्स के साथ हेल्पलाइन पर कॉल करने वालों में युवा वयस्क की तादाद सबसे ज्यादा रही. इसके बाद 26-40 आयु वर्ग के 36 फीसदी लोगों ने कॉल किया था. कोलकाता वासियों में आपसी रिश्तों में खटास, खासकर 18-25 के आयु वर्ग वालों में, बेहद ही चिंता का विषय है. ऐसे में एमपावर द सेंटर की हेड मनोचिकित्सक डॉ प्रीति पारीख ने कहा : युवा बेहद ही मुश्किल सामाजिक व भावनात्मक परेशानियों से गुजर रहे हैं. ये अपनी पहचान बनाने, करियर का दबाव और एक अच्छा रिश्ता कायम करने की जद्दोजहद में लगे हैं. ये सारी चुनौतियां उनकी मानसिक सेहत और संपूर्ण विकास को काफी प्रभावित कर रहे हैं.
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