जूनियर डाॅक्टरों की मांगों के जवाब में कुणाल ने रखीं 13 सूत्री मांगें

उनका कहना है कि इन 13 सूत्री मांगों पर भी विचार किया जाना चाहिए.

By Prabhat Khabar News Desk | October 17, 2024 1:35 AM
an image

कोलकाता. आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर अपनी 10 सूत्री मांगों पर अड़े हुए हैं. इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने उनके समक्ष 13 सूत्री मांगें रखी हैं. उनका कहना है कि इन 13 सूत्री मांगों पर भी विचार किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया के मंच ‘एक्स’ पर श्री घोष ने उक्त मांगों को पोस्ट किया है. 1. सभी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. ड्यूटी समय के अनुसार डॉक्टरों की उपस्थिति अनिवार्य होने के साथ-साथ मरीजों को देखना भी सुनिश्चित की जाये 2. सरकारी अस्पताल का काम छोड़ कर सुविधानुसार ड्यूटी बदल कर और बाकी समय प्राइवेट अस्पताल में काम करना नहीं चलेगा 3. एक ही दवा कंपनी की प्रभाव वाली महंगी दवाएं पर्ची पर लिखना नहीं चलेगा. जेनेरिक टर्म के रूप में दवाओं के नाम लिखें, न कि कंपनी के ब्रांड के रूप में 4. दवा व विभिन्न उपकरण कंपनियों द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम व विदेश यात्रा करना नहीं चलेगा. कमीशन लेने व कटमनी की शिकायतों का समाधान करना होगा 5. विभिन्न मेडिकल टेस्ट के नाम पर विशिष्ट डायग्नोस्टिक सेंटरों से कमीशन नहीं लिया जायेगा 6. हम डॉक्टरों की फीस की संरचना इस तरह करना चाहते हैं कि वे लोगों की पहुंच में हों. सभी को रसीद देनी होगी 7. या तो सरकारी अस्पताल में काम करें या फिर निजी अस्पताल में. दोनों अस्पतालों में साथ-साथ काम करना नहीं चलेगा 8. जो लोग जनता के टैक्स के पैसे की सब्सिडी से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ेंगे, उन्हें सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए 9. विशेषज्ञों, सीनियर चिकित्सकों को अपनी ड्यूटी ठीक से करनी होगी. कोलकाता में पोस्टिंग के लिए पैरवी करने या जिले में जाने के बाद टैक्टिकल रोस्टर पर तीन-चार दिनों के लिए कोलकाता आने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करना नहीं चलेगा 10. सरकार के साथ-साथ डॉक्टरों को भी अपने कार्यस्थल को मरीजों के अनुकूल बनाये रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी. हमें सरकारी ढांचे में कमजोरी दिखा कर मरीजों को निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर करना बंद करना होगा 11. कुछ डॉक्टरों पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए मोटी रकम, पढ़ाई के लिए पैसे, सेमेस्टर में फेल होने पर पास कराने के बदले मोटी रकम वसूलने के भी आरोप हैं. पारदर्शिता और जांच की जरूरत है 12. विभिन्न सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से कुछ कोटा चल रहा है. अस्पताल कोटे में अनियमितता के कई आरोप लगे हैं. इन्हें बंद किया जाये या पारदर्शिता लायी जाये. 13. चिकित्सकीय लापरवाही के लिए विशिष्ट एफआइआर अनिवार्य हो.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version