कोलकाता. पश्चिम बंगाल की छह सीटों के विधानसभा सीटाें पर हुए उपचुनाव में वाममोर्चा व कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है. इन दोनों पार्टियों की हालत ऐसी है कि सभी छह विधानसभा सीटों पर इनके उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गयी है. पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि परिणाम ‘पूर्व निर्धारित’ थे, क्योंकि लोगों को वोट देने से रोका गया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘परिणाम पूर्व निर्धारित थे क्योंकि लोगों को वोट देने की अनुमति नहीं थी.’ श्री चौधरी ने तृणमूल की जीत और आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद हुए विरोध-प्रदर्शनों के बीच किसी भी तरह के संबंध को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘वह (आरजी कर घटना) एक अलग मामला है. अब, इस जीत के बाद, ममता बनर्जी यह कहने की कोशिश करेंगी कि अस्पताल में जो कुछ भी हुआ वह सही है, क्योंकि उनकी पार्टी जीत गयी है.’ श्री चौधरी ने बंगाल में कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरी को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संगठन लंबे समय से कमजोर है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता.
दूसरी ओर, माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि हालांकि चुनाव में वोटों की संख्या और प्रतिशत चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण संकेत हैं, लेकिन यही सब कुछ नहीं हैं. उन्होंने पार्टी संगठन की कमजोरियों को भी स्वीकार करते हुए कहा कि अगर आने वाले दिनों में बंगाल में पुनर्जागरण करना है तो वामपंथ का पुनर्रुत्थान अपरिहार्य है.
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने भी आरजी कर की घटना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों को लेकर कहा, ‘सच्चाई यह है कि लोग आरजी कर में ड्यूटी पर तैनात एक महिला डॉक्टर के खिलाफ अपराध तथा राज्य प्रशासन और सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा जिम्मेदार लोगों को बचाकर स्थिति की गंभीरता को छिपाने के प्रयासों के विरोध में सड़कों पर उतरे.’ श्री चक्रवर्ती ने तृणमूल की जीत को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस जीत के कारण लोगों की मौजूदा शिकायतों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
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