लॉकडाउन : भ्रम व आतंक से बाजारों में अफरातफरी
कोरोना वायरस के खतरों के चलते बरती जानेवालीं सावधानियां कुछ इस कदर लोगों को प्रभावित कर रही हैं कि बाजार में लोगों की अफराफरी देखने को मिल रही है. सामान खरीदने के लिए सुबह-सबेरे निकल जा रहे हैं.
कोलकाता : कोरोना वायरस के खतरों के चलते बरती जानेवालीं सावधानियां कुछ इस कदर लोगों को प्रभावित कर रही हैं कि बाजार में लोगों की अफराफरी देखने को मिल रही है. सामान खरीदने के लिए सुबह-सबेरे निकल जा रहे हैं. लॉकडाउन करके भले ही भीड़ न होने की तैयारियां की गयी हो, लेकिन अज्ञानता की वजह से लॉकडाउन का उद्देश्य धूमिल होता नजर आ रहा है.
सोमवार शाम पांच बजे से कोलकाता समेत राज्य के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन की घोषणा सरकार की ओर से की गयी है. इस दौरान सरकारी व निजी कार्यालयों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. साथ ही यह भी घोषणा की गयी है कि 27 मार्च रात 12 बजे तक चलनेवाले इस लॉकडाउन से किराने, राशन, दूध सहित अत्यावश्यक सामानों की दुकानों व परिसेवाओं में छूट दी गयी है. बावजूद इसके सोमवार सुबह से लोगों में सामान खरीदने की होड़ लग गयी. बाजार से दूध -ब्रेड गायब होता नजर आने लगा. लोग जरूरत से अधिक सामान खरीदते दिखायी दिये.
कालाबाजारी रोकने के लिए राज्य सरकार की तैयारी
कोलकाता. सोमवार शाम से शुरू हुए लॉकडाउन के मद्देनजर राज्य में थोक या खुदरा बाजारा में किसी प्रकार की कालाबाजारी न हो और कृत्रिम संकट तैयार न हो, इसके लिए राज्य सरकार जरूरी कदम उठा रही है. जरूरी सामग्रियों की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स के साथ-साथ कोलकाता व जिला पुलिस और खुफिया विभाग को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है. महत्वपूर्ण थोक व खुदरा बाजारों पर हर वक्त नजर रखने के लिए कहा गया है.
सामग्रियों की कीमतों को लेकर शिकायत करने पर त्वरित कदम उठाने का निर्देश भी दिया गया है. राज्य सचिवालय, नबान्न के सूत्रों से इसकी जानकारी मिली है. सामग्रियों की कीमत अधिक दिखते ही संबंधित व्यवसायी के खिलाफ जल्द कानूनी कदम उठाने के लिए कहा गया है. सख्त निर्देश दिये गये हैं कि इस स्थिति में बगैर राजनीतिक रंग देखे कदम उठाये जायें. सरकार ने जनप्रतिनिधियों को भी इस संबंध में सरकार की मदद करने के लिए अनुरोध किया गया है.
हर समय सेवा में तैनात रहेंगे स्वास्थ्यकर्मी
कोलकाता. राज्य में कोरोना वायरस के सात मामले समाने आ चुके हैं. कोलकाता में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले देखे जा रहे हैं. अबतक महानगर में पांच लोग इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जबकि अन्य दो मरीजों में एक उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा का रहनेवाला है, जबकि दमदम निवासी पीड़ित की सोमवार को मौत हो गयी. कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप के कारण राज्य के सभी नगर निकाय इलाकों को लॉकडाउन कर दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर सह अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में 24 घंटे रखने के लिए सरकार की ओर से सोमवार को विशेष पहल की गयी है. विशेष कर स्वास्थ्य कर्मी व नर्सिंग स्टॉफ को रखने के लिए महानगर समेत राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में बने नाइट शेल्टर को खाली कराया जा रहा है.
राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दिया है कि स्वास्थ्य कर्मियों को रखने के लिए अस्पतालों के आसपास स्थित विभिन्न होटल व गेस्टहाउस में भी व्यवस्था की जाये. यह निर्देश निजी अस्पताल प्रबंधन को भी दिया गया है. इस विषय में स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि महानगर सभी सरकार व निजी अस्पतालों में काम करनेवाले अधिकांश चिकित्सकों के पास अपनी गाड़ी है. ऐसे में चिकित्सकों को आने-जाने में परेशानी नहीं होगी. लेकिन वैसे स्वास्थ्य कर्मी या चिकित्सक जिनके पास गाड़ी नहीं है या दूर-दराज के इलाकों से आते हैं. ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ही यह तैयारी की गयी है.
25 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को घर में रखने पर विचार
कोलकाता. देशभर में कोरोना के कहर को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा देशभर में सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों में कर्मचारियों की संख्या में कमी लाने की सलाह के मद्देनजर शहर के प्रत्येक थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या में भी कटौती करने पर विचार किया जा रहा है. लालबाजार सूत्रों की मानें, तो कोरोना को लेकर शहर के प्रत्येक थानों में औसतन 40 से 60 पुलिसकर्मी रहते हैं. ट्रैफिक गार्ड में भी इतनी ही संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं.
कोरोना को लेकर अत्यंत जरूरी ना हो, तो लोगों को थानों से दूर रहने की सलाह दी गयी है, इसके कारण लोग थानों में काफी कम आ रहे हैं. प्रत्येक थानों में आपराधिक मामलों की जांच की गति भी अभी थमी हुई है. सोमवार शाम से शहर में लॉकडाउन होने के बाद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव भी काफी हद तक कम हो जायेगा.
ऐसी स्थिति में थाने व ट्रैफिक गार्ड में कार्यरत 25 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को घर पर रखने पर विचार किया जा रहा है. प्रत्येक दो दिन के अंतराल पर घर पर रहनेवाले पुलिकर्मी अपने विभाग में काम करेंगे. उनकी छुट्टी के दौरान विभाग में कार्यरत पुलिसकर्मी घर पर रहेंगे.
लालबाजार सूत्र बताते हैं कि इस नीति पर आधिकारिक तौर पर फैसला नहीं लिया गया है, पुलिस आयुक्त के साथ सभी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इसपर सहमति के बाद ही इसपर अंतिम निर्णय लिया जायेगा.