यूनिवर्सल स्पिरिचुअलिटी एंड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन व कनोड़िया फाउंडेशन की ओर से महानगर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल हुए पूर्व राष्ट्रपति कोलकाता.पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे समय में केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में अर्थव्यवस्था की बागडोर संभाली थी, जब देश आर्थिक मोर्चे पर संकट का सामना कर रहा था. श्री कोविंद यहां यूनिवर्सल स्पिरिचुअलिटी एंड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन व कनोड़िया फाउंडेशन की ओर से महानगर में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. महानगर में कार्यक्रम के दौरान पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा कि स्वर्गीय सिंह विनम्रता के प्रतीक थे. उन्होंने कभी आपत्तिजनक, असंसदीय शब्द नहीं बोला. मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को एक नयी दिशा दी और देश को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचाया. उन्हें आधुनिक निर्माता सुधारक के रूप में याद किया जायेगा. उन्होंने मनमोहन सिंह को ‘विज्ञान और आध्यात्म’ का एक ऐसा मिलाजुला रूप बताया, जिसमें भारत के मूल्य और संस्कार गहरे तक रचे-बसे थे. शुक्रवार को महानगर में अलीपुर स्थित धनधान्य ऑडिटोरियम में कनोड़िया फाउंडेशन की पहल पर यूनिवर्सल स्पिरिचुअलिटी एंड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित विश्व मानवता, शक्ति तथा आध्यात्मिकता के 15वें संस्करण में वैश्विक नेताओं ने ‘आध्यात्मिकता में विज्ञान’ के महत्व पर चर्चा की. इस कार्यक्रम का उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आध्यात्मिकता और मानवता को एक मंच पर लाना है. इस मौके पर देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ-साथ लेखक व एंटी-एजिंग विशेषज्ञ डॉ रॉबर्ट गोल्डमैन, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन, भारतीय सर्व धर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गोस्वामी सुशील महाराज, कोलकाता के आर्कबिशप थॉमस डिसुजा, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्ता, भारत में स्पेन के राजदूत जुआन एंटोनियो मार्च पुजोल, अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम डॉ इमाम उमर अहमद व चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे. प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ आत्मा की प्रसन्नता भी महत्वपूर्ण : पूर्व राष्ट्रपति कोलकाता. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि जिस युग में प्रौद्योगिकी ‘सुपरसोनिक गति’ से बढ़ रही है, उसमें आत्मा की प्रसन्नता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. विज्ञान और अध्यात्म विरोधाभासी नहीं हैं, बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. ये समाज की बेहतरी के लिए मिलकर काम करते हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक सच की खोज में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं और उनकी यह खोज साधना कहलाती है. आज मनुष्य को भौतिक सुख-सुविधाओं से परे जाने की जरूरत है. रामकृष्ण परमहंस, मां सारदा और स्वामी विवेकानंद जैसे संत अध्यात्म की खोज में निकले थे. बंगाल के इन संतों ने दुनिया की सुख-सुविधाओं को खारिज कर दिया था, लेकिन उन्होंने संन्यास के बिना आध्यात्मिक खोज पूरी नहीं होने की धारणा को भी खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि स्वामीजी जैसे संतों ने इस अवधारणा को खारिज कर दिया कि बिना संन्यास के आध्यात्मिक खोज पूरी नहीं हो सकती. स्वामी विवेकानंद ने वैज्ञानिक तरीके से आध्यात्मिकता की खोज की.
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