22 अगस्त 2011 को संस्थान के दीक्षांत समारोह में हुए थे शामिल
जीतेश बोरकर, खड़गपुर
आइआइटी खड़गपुर में भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक है. वह प्रधानमंत्री रहने के दौरान संस्थान में आये थे. उस पल को खड़गपुर आइआइटी के अधिकारियों में कांग्रेस नेताओं ने याद किया. 22 अगस्त 2011 को मनमोहन सिंह खड़गपुर आइआइटी आये थे. उन्होंने संस्थान की हीरक जयंती पुस्तिका ‘राष्ट्र की सेवा में आइआइटी खड़गपुर के 60 वर्ष’ का विमोचन किया था. अपने वक्तव्य में मनमोहन सिंह ने पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को याद किया, जिन्होंने आइआइटी की आधारशिला रखी थी. 1956 में आइआइटी के पहले दीक्षांत समारोह में जवाहरलाल के भाषण का मुद्दा भी उठाया था. मंच से केंद्रीय बजट में आइआइटी खड़गपुर के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटन की बात भी कही थी. वह संस्थान में साइंस पार्क बनाना चाहते थे.संस्थान के पूर्व प्रोफेसर अमल कुमार मजूमदार ने उस दिन मनमोहन सिंह को करीब से देखा था. तब वह आइआइटी खड़गपुर के उप-निदेशक थे. अमल ने कहा : जब हेलीकॉप्टर कलाईकुंडा से आइआइटी ग्राउंड पर उतरा, तो मैं वहां था. बाद में हम प्रशासनिक भवन, निदेशक लॉज में गये. कुछ देर तक पूर्व पीएम से मुलाकात हुई. इसके बाद वह दीक्षांत समारोह के मंच पर गये थे. निकट से एक मृदुभाषी व्यक्ति को देखा था. प्रत्येक शब्द से उनकी विद्वता टपक रही थी.
जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष अमल दास ने कहा : उस वक्त मैं पार्टी का खड़गपुर शहर अध्यक्ष था. मुझे प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिला था. उनके साथ चाचा ज्ञानसिंह और जिला अध्यक्ष भी थे. मैं प्रणाम करने गया, लेकिन उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिये. वहीं, कांग्रेस नेता स्वपन ने कहा : उस दिन अपने भाषण में मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया कि इस देश में कृषि प्रौद्योगिकी में आइआइटी खड़गपुर की अग्रणी भूमिका है.संस्थान की ओर से उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च बनाने की पेशकश की गयी थी. उस दशक को नवाचार का दशक बताते हुए उन्होंने कहा था कि हमें अपने काम करने का तरीका बदलना होगा. समस्याओं को हल करने के लिए अलग तरह से सोचें और हमेशा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रयास करें. उनका संदेश था कि उत्कृष्टता, लचीलापन और उच्चतम गुणवत्ता वाला बुनियादी ढांचा मंत्र होना चाहिए, तभी आइआइटी सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले शोधकर्ताओं और शिक्षकों को आकर्षित करेंगे.
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