राज्य के पांच जरूरी मामलों पर फैसला सुनाएंगे नये सीजेआइ
सोमवार को नये सीजेआइ ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली.
संवाददाता, कोलकाता सर्वोच्च न्यायालय के नये चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पर अब बंगाल की निगाहें टिकी हुई हैं. राज्य के पांच महत्वपूर्ण मामले शीर्ष अदालत में विचाराधीन हैं, जिनका भविष्य अब नवनियुक्त प्रधान न्यायाधीश के फैसले पर निर्भर है. ज्ञात हो कि सोमवार को नये सीजेआइ ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. 1. आरजी कर में जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या का मामला : आरजी कर की घटना सबसे चर्चित मामला है. पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले में 18 अगस्त को स्वतः संज्ञान लेते हुए 20 अगस्त को पहली सुनवाई की थी. पिछली सुनवाई सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई थी. प्रत्येक सुनवाई में सीबीआइ स्टेटस रिपोर्ट जमा करती रही है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ स्टेटस रिपोर्ट देखकर काफी चिंतित व विचलित हुए थे. उन्होंने विकिपीडिया और सोशल मीडिया से मृतका की तस्वीर, नाम और परिचय तत्काल हटाने का निर्देश भी दिया था. साथ ही अस्पतालों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरा लगाने, महिला स्वास्थ्य कर्मियों की रात्रि सेवा पर रोक लगाने के आदेश को रद्द करते हुए सिविक वालंटियर्स की नियुक्तियों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होने की संभावना है. 2. 12 लाख से अधिक ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द होने का मामला : बंगाल सरकार द्वारा जारी 12 लाख से अधिक ओबीसी सर्टिफिकेट को कलकत्ता हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया. लिहाजा नौकरी व सुविधा प्राप्त लोगों का भविष्य अधर में लटक गया है. कौन लोग ओबीसी में हैं? सरकार कैसे तय करती है? किस आधार पर ओबीसी सर्टिफिकेट देती है? ओबीसी से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया. इस मामले में कुछ खास तेजी या प्रगति देखने को नहीं मिली. इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होने की संभावना है. 3. मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति का मामला : मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति का मामला काफी सुर्खियों में रहा था. दो जजों की लड़ाई ने इस मामले की गंभीरता को और अधिक बढ़ा दिया. जनवरी 2024 में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति को रद्द कर सीबीआइ जांच का आदेश दिया था. हाइकोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन की डिविजन बेंच ने जस्टिस अभिजीत गांगुली की सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया. जस्टिस गांगुली ने डिविजन बेंच के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए फैसले को त्रुटिहीन बताया और अपने फैसले पर अडिग रहे. दो जजों की लड़ाई में उलझे इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होने की संभावना है. 4. राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप का मामला : राज्यपाल पर राजभवन की एक महिला संविदा कर्मचारी ने छेड़छाड़ का आरोप कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने में लगाया था, लेकिन संवैधानिक प्रावधान के चलते उन पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ. 19 जुलाई को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में इस मामले की पहली और आखिरी सुनवाई हुई. हालांकि 19 जुलाई को हुई एकमात्र सुनवाई के बाद इस मामले की ताजा स्टेटस रिपोर्ट की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, न ही अगली सुनवाई की कोई तिथि निश्चित है. 5. 26 हजार शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द होने का मामला : कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य के 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया. साथ ही शिक्षकों को प्राप्त वेतन लौटाने और राज्य सरकार से इस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार ने कलकत्ता हाइकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन 26 हजार शिक्षकों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होने की संभावना है.
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