दिल्ली में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि रहे आयोग के उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़
एजेंसियां, नयी दिल्ली
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने शुक्रवार को बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न के मामले का जिक्र किया और इस मामले में मौके पर जाकर जांच करने के बाद आयोग द्वारा रिपोर्ट में इस्तेमाल किये गये कुछ कठोर बयानों का भी उल्लेख किया. उन्होंने दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एनएचआरसी की 31वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की. इस अवसर पर आयोग के उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर उपस्थित थे.
विजया भारती सयानी ने कहा : एनएचआरसी ने हिरासत में मौत, बंधुआ मजदूरी, हाशिए पर पड़े समूहों का शोषण और चिकित्सा देखभाल से इनकार सहित मानवाधिकार उल्लंघन के व्यापक मामलों का समाधान किया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न के मामले और इस वर्ष अप्रैल में प्रकाशित एनएचआरसी की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों को भी याद किया. भारती सयानी ने कहा : एनएचआरसी ने हाल ही में संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और यौन हमलों की गंभीर रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. एनएचआरसी सदस्यों द्वारा मौके पर की गयी जांच में भय और धमकी का माहौल सामने आया, जिससे पीड़ितों को न्याय मांगने में बाधा आयी.”
संदेशखाली मामले ने इस वर्ष के प्रारंभ में राजनीतिक रंग ले लिया था जब पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक नेता के खिलाफ कुछ कथित महिला पीड़ितों द्वारा आरोप लगाये गये थे. मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में मानवाधिकार आयोग ने टिप्पणी की कि कथित आरोपी व्यक्तियों द्वारा किये गये अत्याचारों के कारण उत्पन्न माहौल ने पीड़ितों को चुप कर दिया, जबकि धमकी और आतंक ने उन्हें न्याय मांगने में अनिच्छुक बना दिया.
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि 12 अक्टूबर 1993 को अपनी स्थापना के बाद से 30 सितंबर 2024 तक आयोग ने 23,05,194 मामलों को संभाला, जिनमें 2,873 मामले उसने स्वयं संज्ञान में लिए. इसके अलावा आयोग ने 8,731 मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 254 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक राहत के भुगतान की सिफारिश की. अपने संबोधन में एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि मानवाधिकार एक न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला हैं, जो सभी के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और कल्याण सुनिश्चित करने के अलावा हाशिए पर पड़े लोगों को उनके अधिकारों का दावा करने के लिए सशक्त बनाता है.
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